वाटिकन सिटीः मध्यपूर्व से ख्रीस्तीयों का पलायन एक गम्भीर चुनौती, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 12 दिसम्बर 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस का कहना है कि मध्यपूर्व
के देशों से ख्रीस्तीयों का निरन्तर पलायन कलीसिया के समक्ष प्रस्तुत एक गम्भीर चुनौती
है।
रोम में अन्ताखिया की सिरियाई काथलिक प्राधिधर्माध्यक्षीय पीठ द्वारा आयोजित
धर्मसभा में भाग लेनेवाले धर्माध्यक्षों, पुरोहितों एवं लोकधर्मियों ने शुक्रवार को वाटिकन
में सन्त पापा का साक्षात्कार कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर सन्त
पापा फ्राँसिस ने ईराक एवं सिरिया के लोगों के उत्पीड़न को याद करते हुए कहा, "विश्व
के विभिन्न क्षेत्रों में जा बसे सिरियाई काथलिकों के साथ-साथ वे ईराक एवं सिरिया के
सभी नागरिकों के लिये भी प्रार्थना करते हैं जो विगत कुछ समय से प्रति दिन भय, आतंक,
युद्ध एवं मृत्यु का सामना करने के लिये बाध्य हैं।"
रोम में इस समय जारी धर्मसभा
में सिरियाई काथलिक कलीसिया के धर्माध्यक्ष ईश वचन की सेवा में आराधना विधि एवं पूजन
पद्धति में सुधार पर विशद विचार-विमर्श कर रहे हैं। इस सन्दर्भ में, सन्त पापा ने मंगलकामना
की कि ईश वचन की शक्ति से मध्यपूर्व के समस्त देशों के ख्रीस्तीय, कठिनाइयों के बावजूद,
सुसमाचार के साहसी साक्ष्य बन सकें।
उन्होंने कहा, "निर्धनता, युद्ध एवं आतंक
के कारण बहुत समय से मध्यपूर्व के ख्रीस्तीय धर्मानुयायी अपने घरों का पलायन कर हैं तथा
यह पलायन, दुर्भाग्यवश, अभी भी जारी है।"
उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीयों का यह पलायन
मध्यपूर्व को अकिंचन बना रहा है जो सदियों से नबियों एवं शहीदों की भूमि रहा है। उन्होंने
कहा कि ख्रीस्तीयों में आशा और साहस का संचार करने के लिये नवीन प्रेरितिक चुनौतियों
का सामना करने की ज़रूरत है।
उन्होंने धर्माध्यक्षों एवं पुरोहितों से अनुरोध
किया कि लोगों को मानवतावादी एवं लोकोपकारी सहायता उपलब्ध कराने के लिये वे क्षेत्र
की अन्य कलीसियाओं के साथ सहयोग करें।