ऑस्लो, नोर्वे शुक्रवार 12 दिसंबर, 2014 (बीबीसी) नार्वे की राजधानी ऑस्लो में एक शानदार
समारोह में भारत के बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफ़ज़ई
को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. नोबेल पुरस्कार कमेटी के चेयरमैन थोरबजॉर्न
जागलैंड ने इन दोनों को सम्मानित किया. भारत में बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक ने
अपने संबोधन में कहा कि उनके जीवन का उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को मुक्त बनाना है. उन्होंने
कहा, "प्रत्येक बच्चे को बढ़ने और बड़े होने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए. अपनी मर्जी
से हंसने और रोने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए." सत्यार्थी ने अपने संबोधन का समापन
तमसो मा ज्योतिर्गमय: श्लोक से किया. उन्होंने कहा, "हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर, अंधकार
से रोशनी की ओर बढ़ना है." विश्व स्तर पर उस समय चर्चा में आई जब पाकिस्तान के कबायली
इलाकों में उन्हें अक्तूबर 2012 में वे तालिबान के हमले का शिकार हुईं. वे वहाँ लड़कियों
की शिक्षा के लिए मुहिम चला रही थीं. मलाला ने नोबेल पुरस्कार हासिल करने के बाद कहा,
"पाकिस्तान की पहली और सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने पर गर्व महसूस
कर रही हूं." मलाला ने बताया, "मैं शायद अकेली ऐसी नोबेल पुरस्कार विजेता हूँ जो आज
भी अपने छोटे भाइयों से लड़ती है." मलाला ने सत्यार्थी को संबोधित करते हुए कहा, "आएँ
हम दिखा दें कि पाकिस्तानी और भारतीय एक साथ काम कर सकते हैं. हम मिलकर बच्चों के अधिकारों
के लिए काम करें." मलाला ने ये भी सवाल उठाया है कि मौजूदा समय में सरकारों के लिए
बंदूक-टैंक ख़रीदना आसान और बच्चों को किताब देना मुश्किल क्यों है? इस मौके पर ऑस्लो
में राहत फतेह अली ख़ान और अमजद अली ख़ान ने अपना म्यूज़िकल कार्यक्रम भी पेश किया. मलाला
यूसुफ़ज़ई और कैलाश सत्यार्थी को संयुक्त तौर पर नोबेल पुरस्कार की चौदह लाख डॉलर की
राशि दी गई है.