11 दिसम्बर को काथलिक कलीसिया सन्त दमासुस
का पर्व मनाती है जो 366 ई. से 384 ई. तक विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष थे।
दमासुस 60 वर्ष के पुरोहित थे जब उन्हें सन्त पापा नियुक्त किया गया था।
सन्त
पापा दमासुस की पहल पर ही ख्रीस्तीय धर्म के पवित्र ग्रन्थ लैटिन भाषा में अनुदित किये
गये थे। सन्त पापा दमासुस ने यह महत्वपूर्ण कार्य सन्त जेरोम के सिपुर्द किया था जिन्होंने
बाईबिल धर्मग्रन्थ का लैटिन अनुवाद कर इसका प्रचार-प्रसार किया।
अपनी नियुक्ति
के बाद से ही सन्त पापा दमासुस को अपने विरोधियों का सामना करना पड़ा था जिन्होंने अपना
अलग धर्मगुरु नियुक्त कर लिया था तथा सन्त पापा के आदेशों को मानने के लिये तैयार नहीं
थे। सन्त पापा दमासुस ने अपने विरोधियों का डटकर सामना किया तथा कलीसिया में कई सुधारों
की बहाली की। पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल के लैटिन अनुवाद के साथ-साथ उन्होंने काथलिक कलीसिया
की पूजन पद्वति की भाषा को ग्रीक से लैटिन में परिवर्तित किया, ख्रीस्तीय समाधि स्थलों
तथा शहीदों एवं सन्तों की गुफाओं का जीर्णोंद्धार भी उन्होंने ही करवाया।
सन्त
दमासुस अपने युग के महान लेखकों में से एक थे जिन्होंने बड़े-बड़े ग्रन्थों की रचना नहीं
अपितु शहीदों एवं सन्तों पर छोटी छोटी सूक्तियाँ लिखी ताकि अनुयायियों को सरल एवं सुगम
भाषा में मार्गदर्शन दिया जा सके। सन्त दमासुस का स्मृति दिवस 11 दिसम्बर को मनाया जाता
है।
चिन्तनः "मेरे साथ प्रभु की महिमा का गीत गाओ। हम मिल कर उसके
नाम की स्तुति करें। मैंने प्रभु को पुकारा। उसने मेरी सुनी और मुझे हर प्रकार के भय
से मुक्त कर दिया। प्रभु की ओर दृष्टि लगाओ, आनन्दित हो, तुम फिर कभी निराश नहीं होगे"
(स्तोत्र ग्रन्थ 34: 4-6)।