2014-12-08 10:09:07

वाटिकन सिटीः आगमनकाल आशा का समय, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, 08 दिसम्बर सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि आगमनकाल आशा का समय है जो हममें ख्रीस्त के पुनरागमन की चाह को उत्पन्न करता है।

रविवार, 07 दिसम्बर को, रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते हुए सन्त पापा ने रविवारीय आराधना विधि चिन्तन हेतु निर्धारित नबी इसायाह के ग्रन्थ से लिये गये पाठ पर चिन्तन किया जिसमें ईशप्रजा को सान्तवना दिलाने की बात कही गई है।

इसायाह के ग्रन्थ से लिये पाठ के शब्दः , ''मेरी प्रजा को सान्त्वना दो, सान्त्वना दो" को दुहराकर सन्त पापा ने कहा यह पंक्ति आनन्दमय मुक्ति के काल को इंगित करती है तथा हमें आशा के साथ भविष्य पर दृष्टि डालने हेतु आमंत्रित करती है।"

सन्त पापा ने कहा नबी इसायाह उस समय का सन्दर्भ देते हैं जब ईश प्रजा अन्धकारपूर्ण काल से गुज़र रही थी किन्तु अब सान्तवना एवं विश्राम का समय आ गया था। दुःख एवं भय की जगह सुखमय आनन्द ने ले ली थी।

सन्त पापा ने कहा कि आगमन के दूसरे रविवार पर सर्वत्र गूँजनेवाला नबी इसायाह का सान्तवना भरा सन्देश हमारे घावों पर मरहम के सदृश है तथा सूझ-बूझ के साथ हमें प्रभु के आने हेतु मार्ग तैयार करने की प्रेरणा प्रदान करता है।

सन्त पापा ने कहा कि हमारे अपने युग में कई ऐसी परिस्थितियाँ हैं जहाँ सान्तवना की नितान्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "मैं उन लोगों का विचार कर रहा हूँ जो दमन और अन्याय के कारण उत्पीड़ित हैं, उन लोगों के बारे में जो धन दौलत, सत्ता, सफलता एवं सांसारिकता के गुलाम बन गये हैं। इस बात का साक्ष्य देते हुए कि केवल ईश्वर अस्तित्वात्मक एवं आध्यात्मिक कठिनाइयों के कारणों का उन्मूलन कर सकते हैं, अपने भाइयों को सान्तवना देने के लिये हम सब बुलाये गये हैं।"

विनीत एवं पश्चातापी हृदय से स्वतः को प्रभु ईश्वर के सिपुर्द करने पर बल देते हुए सन्त पापा ने कहा, "ईश्वर बुराई की दीवार को ध्वस्त करते, हमारी भूलों के गड्ढों को भरते, घमण्ड एवं आडम्बर के उभाड़ों को समतल करते तथा उनके साक्षात्कार हेतु हमारा मार्ग प्रशस्त करते हैं।"









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