2014-12-06 13:46:32

ईशशास्त्रीय आयोग को बौद्धिक क्षमता मात्र नहीं, सुनने का गुण भी चाहिये


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 6 दिसंबर, 2014 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 5 दिसंबर को इंटरनैशनल थियोलोजिकल कमीशन (अन्तरराष्ट्रीय ईशशास्त्रीय आयोग) से मुलाक़ात की और उन्हें अपना संदेश दिया।
संत पापा ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय थियोलोजिकल कमीशन का मिशन है " उन ईशशास्त्रीय सिद्धांत संबंधी समस्याओं का अध्ययन करना जो कलीसिया के लिये महत्वपूर्ण है विशेष करके ऐसे जो नये विचारों को प्रस्तुत करते हैं और कलीसिया के सर्वोच्च अधिकारी की मदद करते हैं।"
संत पापा ने कहा कि ईशशास्त्रीय आयोग को बौद्धिक क्षमता मात्र नहीं चाहिये, उसे चाहिये आध्यात्मिक तत्परता या गुण । और ये तत्परता या गुण है सुनने की।
संत पापा ने कहा कि एक ईशशास्त्री सबसे पहले एक विश्वासी है जो ईशवचन सुनता है।फिर भी उसकी दूसरी विशेषता होनी चाहिये कि वह एक ऐसा व्यक्ति जो पवित्र आत्मा की उस आवाज़ को नम्रतापूर्वक सुनता हो जिसे आत्मा कलीसिया में होने वाली विभिन्न घटनाओं के द्वारा इंगित करता है।
संत पापा ने ईशशात्रीय आयोग में महिलाओं की उपस्थिति पर विशेष ध्यान देते हुए कहा कि अपने नारीसुलभ गुणों के कारण महिला ईशशास्त्री ख्रीस्त के उन विशिष्ट रहस्यों की ओर हमारा ध्यान खींच सकते हैं जिनपर हमने कभी भी ध्यान नहीं दिया है।
संत पापा ने ईशशास्त्रियों के आयोग से कहा कि वे इस क्षेत्र में महिलाओं के योगदान से विश्वास को समझने में लाभान्वित हो सकते हैं।

संत पापा ने कहा कि आयोग की प्रकृति इस बात की घोषणा करती है कि कलीसिया सार्वभौमिक और खुली है। कलीसिया में जो विभिन्नतायें है वे कलीसिया को समृद्ध बनातीं हैं। ईशशास्त्रियों में जो एकता है उसका स्रोत है प्रभु येसु पर विश्वास पवित्र आत्मा द्वारा इसका मार्गदर्शन। ईशशास्त्रियों का दायित्व है कि वे एक-दूसरे का सहयोग करना और एक – दूसरे के विचारों को परिस्कृत करें
संत पापा ने ईशशास्त्रीय आयोग के सदस्यों के लिये प्रार्थना की और उन्हें माता मरिया के चरणों में सौंपते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।










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