वाटिकन सिटीः विश्वास की अनुपस्थिति में गिरजाघर एवं मठ कुछ भी नहीं, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 02 दिसम्बर सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस का कहना है कि विश्वास
की अनुपस्थिति में गिरजाघर एवं मठ कुछ भी नहीं हैं।
सोमवार को वाटिकन में स्विटज़रलैण्ड
से आये काथलिक धर्माध्यक्षों को दिये सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्वास पर बल
दिया और कहा कि "विश्वास की अनुपस्थिति में सुन्दर गिरजाघर एवं विशाल मठ संग्रहालय बन
कर रह जाते हैं, वे ऐसी संस्थाओं में परिणत हो जाते हैं जिनमें आत्मा नहीं होती तथा खाली
जगह एवं भटके हुए लोगों के स्थल बन जाते हैं।"
धर्माध्यक्षों को उनके मिशन की
याद दिलाते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि धर्माध्यक्षों का मिशन "विश्वासियों की
सेवा है, उन्हें अपने रेवड़ की रखवाली करना है इसलिये कि ईश प्रजा अपने मेषपाल के बिना
नहीं रह सकती।"
उन्होंने कहा कि धर्माध्यक्षों एवं पुरोहितों का दायित्व है
कि वे विश्वासियों को विश्वास में सुदृढ़ करें, उनके मध्य एकता को बनाये रखें तथा इस
बात का आश्वासन दें कि कलीसियाई परम्परा के अनुकूल उन्हें धर्मशिक्षा प्रदान की जाये।
इस मिशन की पूर्ति हेतु धर्माध्यक्षों के बीच सहभागिता पर सन्त पापा ने बल दिया
और कहा कि समाज की बुराईयों के विरुद्ध उन्हें मिलकर आवाज़ उठानी चाहिये। उन्होंने कहा,
"ऐसे समय में जब कुछ लोग सुसमाचार के सामाजिक आयाम को अनदेखा करने की कोशिश कर रहे हैं
तब संयुक्त रूप से आवाज़ उठाना आवश्यक हो जाता है।"
सन्त पापा फ्राँसिस ने इस
तथ्य पर बल दिया कि सुसमाचार के सौन्दर्य एवं उसकी अपील को कमज़ोर किये बिना उन लोगों
की मदद करना आवश्यक है जो जीवन का अर्थ ढूँढ़ रहे हैं तथा कलीसिया से दूर हो गये हैं।
उन्होंने कहा कि दुःख कष्टों एवं मृत्यु के समक्ष ख्रीस्तीय सुसमाचार वह शक्ति है जो
मानव जीवन एवं मानवीय सम्बन्धों को विकृत करनेवाले नकारात्मक तत्वों को नष्ट करने समर्थ
है।