वाटिकन सिटी, 02 दिसम्बर सन् 2014: कुँवारी एवं शहीद सन्त बिबियाना का पर्व दो दिसम्बर
को मनाया जाता है। बताया जाता है कि सन् 363 ई. में रोम के राज्यपाल जूलियन अप्रोनानियुस
के दमनकाल में बिबियाना उत्पीड़ित की गई थी।
बिबियाना, रोम के सामन्त एवं शूरवीर
ख्रीस्तीय धर्मानुयायी फ्लावियन एवं उनकी धर्मपत्नी डाफरोज़ा की सुपुत्री थी। फ्लावियन
भी विश्वास के खातिर उत्पीड़ित किये गये थे, उन्हें यातनाएँ देकर निष्कासित कर दिया गया
था जबकि उनकी पत्नी का सिर धड़ से अलग कर मार डाला गया था। उनकी दो पुत्रियाँ बिबियाना
एवं देमेत्रिया से उनकी सारी सम्पत्ति छीन ली गई थी तथा उन्हें निर्धनता एवं दरिद्रता
में जीवन यापन के लिये मजबूर किया गया था। तथापि, दोनो बहनें अपने घर में ही रही तथा
प्रार्थना एवं उपवास में अपना समय व्यतीत करने लगी थीं।
इसपर भी दुष्ट राज्यपाल
जूलियन को दया नहीं आई तथा उसने उन्हें बुला भेजा। देमेत्रिया ने दमनकारी के समक्ष घुटने
टेककर अपने विश्वास की अभिव्यक्ति की और अपने प्राण न्यौछावर कर दिये जबकि बिबियाना को
कड़ी यातनाएं दी जाती रहीं। उन्हें दुष्ट महिला रूफिना के सिपुर्द कर दिया गया जो उनके
शील हरण की कोशिश में लगी रही किन्तु बिबियाना ने अपने कौमार्य का परित्याग नहीं किया।
बिबियाना के अटल विश्वास से क्रुद्ध जूलियन ने उन्हें एक खम्बे से बाँधकर मरण तक उन्हें
कोढ़े मारने का आदेश दे दिया। इस यातना को भी प्रभु के नाम पर बिबयाना ने सहन किया तथा
शहादत प्राप्त की। सन्त बिबियाना का पर्व दो दिसम्बर को मनाया जाता है।
चिन्तनः
प्रभु कहते हैः "धन्य हैं जो मेरे नाम के ख़ातिर अत्याचार सहते हैं, स्वर्गराज्य उन्हीं
का है।"