वाटिकन सिटी, 01 दिसम्बर सन् 2014: एलिजियुस, एलोय के नाम से भी जाने जाते हैं। एलिजियुस
का जन्म लगभग सन् 590 ई. में, फ्राँस के लिमोजे के निकट हुआ था। वे एक निपुण लौहार थे
तथा किसी भी धातु पर काम करने में अत्यन्त सक्षम थे इसलिये पेरिस के राजा क्लोटेयर द्वितीय
ने उन्हें अपने टकसाल का निदेशक एवं उस्ताद नियुक्त कर दिया था। अपने उत्कृष्ट कार्यों
एवं निपुणता के कारण एलिजियुस राजा के विश्वासपात्र एवं करीबी मित्र बन गये थे और साथ
ही लोगों में भी प्रसिद्ध कलाकार रूप में विख्यात हो गये थे।
एलिजियुस एक बहुत
ही उदारमना इन्सान थे जिन्होंने कई दासों को मुक्त कराया था। इसके अतिरिक्त, धार्मिक
कार्यों में उनका महान योगदान रहा। उन्होंने सोलिन्याक में कई गिरजाघरों एवं मठों का
निर्माण करवाया। राजा क्लोटेयर के सुपुत्र दागोबेर्ट से दान में मिली सम्पत्ति उन्होंने
ग़रीबों में बाँट दी तथा भू-सम्पत्ति पर लिमोजो के प्रमुख मठ का निर्माण करवाया था। सन्
629ई. में राजकुमार दागोबेर्ट ने उन्हें अपना प्रथम परामर्शक घोषित कर दिया था। परामर्श
दाता रूप में एलिजियुस ने दागोबेर्ट की बहुत सेवा की। तदोपरान्त, एलिजियुस ने प्रभु में
मन लगाने की मंशा व्यक्त की तथा सन् 640 ई. में उनका पुरोहिताभिषेक सम्पन्न हुआ। कुछ
ही वर्षों बाद उन्हें नोयोन एवं तुरनाय का धर्माध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया था। अपने
धर्मोत्साह के चलते उन्होंने फ्लेन्डर्स, विशेष रूप से, आन्टवेर्प, घेन्ट एवं कुरताय
में सुसमाचार का प्रचार किया जिसके परिणामस्वरूप कईयों ने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन किया।
सन्त एलिजियुस का निधन, पहली दिसम्बर, सन् 660 ई. को, नोयोन में, हो गया
था। अपनी निपुणता एवं क्षमता को ईश्वर एवं पड़ोसी के लिये अर्पित करनेवाले सन्त एलिजियुस
सदैव हम सबके आदर्श बने रहेंगे। सन्त एलिजियुस का पर्व पहली दिसम्बर को मनाया जाता है।