2014-12-01 10:32:11

इस्तानबुल से रोमः इस्लाम को हिंसा से संलग्न करना ग़लत, सन्त पापा फ्राँसिस


इस्तानबुल से रोम, 01 दिसम्बर सन् 2014 (सेदोक): इस्लाम धर्म को हिंसा से संलग्न करना सरासर ग़लत है कहकर, सन्त पापा फ्राँसिस ने, मुसलमान नेताओं से आग्रह किया कि वे विश्वव्यापी स्तर पर आतंकवाद का खण्डन करें।

तुर्की की तीन दिवसीय यात्रा सम्पन्न कर रविवार को इस्तानबुल से रोम वापसी यात्रा के दौरान विमान पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए सन्त पापा ने यह अपील जारी की। उन्होंने कहा कि वे इस बात को समझते हैं कि क्यों मुसलमानों को पश्चिम के उन लोगों से ठेस पहुँचती है जो इस्लाम धर्म को हिंसा और आतंकवाद से जोड़ते हैं।

ग़ौरतलब है कि विगत कुछ माहों से इस्लामिक स्टेट के लड़ाकाओं ने सिरिया एवं ईराक में शिया मुसलमानों, ख्रीस्तीयों एवं सुन्नी मुस्लिम उग्रवादियों की बात न माननेवालों पर अन्धाधुन्ध हिंसा ढाई है जिससे एक बार फिर मुसलमानों की छवि बिगड़ी है।

मध्यपूर्व में शांति की स्थापना तथा ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों की सुरक्षा का आह्वान करनेवाले सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "इस्लाम धर्म के विरुद्ध रोष प्रकट कर आतंकवाद का जवाब देना ग़लत है।"

उन्होंने कहा, "आप यह नहीं कह सकते कि सभी मुसलमान आतंकवादी हैं, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आप यह नहीं कह सकते कि सभी ख्रीस्तीय चरमपंथी हैं। हमारे बीच भी चरमपंथी हैं, सभी धर्मों में छोटे-छोटे चरमपंथी दल होते हैं किन्तु उनके कारण सम्पूर्ण धर्म को बदनाम नहीं किया जा सकता।"

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि ख़ुद इस्लाम धर्मानुयायी भी कहते हैं, "हम ऐसे नहीं हैं, कुरान शांति का ग्रन्थ है, वह शांति की नबूवती किताब है।"

सन्त पापा ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने विगत शुक्रवार को तुर्की के राष्ट्रपति ताईप एरदोगान एवं मुसलमान नेताओं से मुलाकात के अवसर पर विश्वव्यापी स्तर पर आतंकवाद के खण्डन का सुझाव रखा है।

उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति से मैंने कहा कि यह अति सुन्दर होता यदि समस्त इस्लामी नेता, चाहे वे राजनैतिक, धार्मिक अथवा अकादमिक ही क्यों न हों, सभी मिलकर स्पष्टतः आतंकवाद की निन्दा करते क्योंकि यह अधिकांश मुसलमान लोगों के लिये सहायक होगा।"









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