तुर्की, शुक्रवार, 28 नवम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 28 नवम्बर
को अपनी 6 वीं प्रेरितिक यात्रा हेतु तुर्की प्रस्थान किया जहाँ तुर्की की राजधानी अंकारा
में वहाँ के प्रधानमंत्री अहमेत दवूतोग्लू एवं अन्य अधिकारियों द्वारा उनका भव्य स्वागत
किया गया।
संत पापा ने तिर्की के प्रधानमंत्री एवं सभी अधिकारियों को सम्बोधित
करते हुए कहा, ″प्राकृतिक सौंदर्य तथा ऐतिहासिक सम्पन्नता एवं प्राचीन सभ्यताओं के स्मरकों
से भरे, आपके देश का दौरा करते हुए मुझे आपार हर्ष हो रहा है। दो देशों की विविध संस्कृतियों
के बीच यह एक प्राकृतिक सेतु है। यह भूमि सभी ख्रीस्तीयों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण
है क्योंकि यह संत पौलुस की जन्म भूमि है तथा कलीसिया की प्रथम सात समितियों का सभा स्थल
भी है। परम्परा के अनुसार यहीं एफेसुस में येसु की माता मरियम ने भी कुछ वर्षों तक जीवन
व्यतीत किया था जो अब एक बड़ा तीर्थ स्थल बन गया है न केवल ख्रीस्तीयों किन्तु मुसलमानों
के लिए भी।″ उन्होंने कहा कि तुर्की न केवल प्रचीन स्मारकों के लिए किन्तु वर्तमान में
भी अपने कड़ी मेहनत, उदारता तथा अन्य राष्ट्रों के साथ सामंजस्य स्थापित करने के कारण
संबंध एवं प्रशंसा के योग्य है।
संत पापा ने प्रेरितिक यात्रा हेतु अवसर के लिए
कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि यह वार्ता, मित्रता, सम्मान एवं संबंध मज़बूत करने का
एक सुनहरा अवसर है। संत पापा ने वार्ता की आवश्यकता पर जो देते हुए कहा, आज वार्ता
की अति आवश्यकता है जिसे द्वारा समझदारी को बढ़ाया जा सके तथा आपस की कई चीजों की महता
को पहचाना जा सके।
उन्होंने कहा कि हमें मौलिक अधिकारों के प्रति सम्मान, स्थायी
शांति निर्माण तथा प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा हेतु हमारे कर्तव्यों का धैर्यपूर्वक पालन
करना होगा। इस प्रकार हम पूर्वाग्रह तथा नासमझी से बाहर आकर सम्मान, मुलाकात तथा सकारात्मक
शक्तियों का प्रयोग भले कार्यों में कर पायेंगे।
संत पापा ने राष्ट्र के सभी नागरिकों꞉
मुस्लिम, यहूदी और ईसाई के समान अधिकार एवं कर्तव्य पर बल दिया ताकि सभी एक-दूसरे को
भाई-बहन की तरह देख सकें। उन्होंने मध्यपूर्व में चल रहे संघर्ष की भी याद करते हुए
कहा कि यह संघर्ष लगातार चलता जा रहा है किन्तु ईश्वर की मदद द्वारा हम इसे शांति में
बदल सकते हैं।
तुर्की द्वारा शरणार्थियों की एक बड़ी संख्या को शरण प्रदान किये
जाने की सराहना करते हुए संत पापा ने कहा कि वे उदारतापूर्वक शरणार्थियों की मदद कर रहे
हैं जिसके लिए विश्व समुदाय को भी तुर्की की मदद करनी चाहिए। संत पापा ने तुर्की
के कर्तव्यों के बारे में कहा कि ऐतिहासिक, भौगोलिक तथा क्षेत्रीय परिस्थितियों के कारण
व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, शांति एवं आधारभूत विकास हेतु प्रयास जारी रखना
चाहिए।