2014-11-26 19:40:50

वर्ष 'ब' आगमन का पहला रविवार, 30 नवम्बर, 2014


इसायस 63 :16-17, 63 : 1,3-6
1 कुरिन्थियों के नाम पत्र 1 : 3-9
संत मारकुस 13 : 33-37
जस्टिन तिर्की, ये.स.

मारकुस की कहानी
मित्रो, आज मैं आप लोगों को एक शिक्षक के बारे में बताता हूँ। उनका नाम था मारकुस। वे बहुत ही अच्छे शिक्षक थे। वे नीति शिक्षा पढ़ाया करते थे। उनकी एक खूबी थी कि वे अपने क्लास समाप्त करने के पहले विद्यार्थियों से एक सवाल अवश्य ही पूछा करते थे। एक दिन मारकुस ने छात्र-छात्राओं को एक सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियो, क्लास समाप्त करने के पूर्व मैं तुम लोगों को एक घटना के बारे में बताता हूँ और घटना सुनने के बाद तुम मेरे एक सवाल का जवाब तुरन्त देना। उन्होंने कहा - एक व्यक्ति था वह सोने गया। कुछ देर के बाद वह रात को स्वप्न देखने लगा । स्वप्न में उसने देखा कि एक कुत्ता उसे दौड़ा रहा है और वह बेतहासा भागा जा रहा है। भागते - भागते ही उसने देखा कि एक और कुत्ते ने भी उसका पीछा करना शुरु कर दिया है । जब वह एक दूसरी गली की ओर भागा तो एक और कुत्ते ने भी भूँकना शुरु कर दिया। अब वह एक ऐसे चौराहे में पहुँचा जहाँ भागने के लिये और कोई जगह नहीं थी वह जिधर देखता उधर ही भयानक कुत्ते नज़र आते। भय से न तो वह चिल्ला पा रहा था न ही कुत्तों से पिंड छुड़ा पा रहा था ऐसे समय में उसे क्या करना चाहिये।शिक्षक ने फिर पूछा विद्यार्थियो उसे क्या करना चाहिये। इस सवाल का ज़वाब किसी को सूझ नहीं रहा था।सब चुप थे। तब शिक्षक ने कहा कि प्रकाश तुम बोलो कि जब स्वप्न में एक व्यक्ति खूँखार कुत्तों से घिर गया है तो उसे क्या करना चाहिये। प्रकाश ने कहा कि उस स्वप्न देखने वाले व्यक्ति को जाग जाना चाहिये।

मित्रो, आज हम रविवारीय आराधना विधि चिन्तन कार्यक्रम के अन्तर्गत पूजन विधि पंचाँग के वर्ष ' ब ' के आगमन के पहले रविवार के लिये प्रस्तावित पाठों के आधार पर मनन-चिंतन कर रहे हैं। मित्रो, आज हमें प्रभु बताना चाहते है कि हमें जाग जाना चाहिये या हमें सदा जागते रहना चाहिये। ‘जागते रहना’ अर्थात् तैयार रहना, प्रभु के आने की बाँट जोहते रहना चाहिये और जब प्रभु आयें तो खुशी से उसका स्वागत करना चाहिये। मित्रो, आपको हम यह भी बता दें कि आने वाले चार सप्ताहों में ईसाई प्रभु येसु के जन्म की विशेष तैयारी करते हैं औऱ उसके स्वागत के लिये विभिन्न रूपों से अपने को तैयार करते हैं। मित्रो, , आइये हम संत मारकुस रचित सुसमाचार से प्रभु के वचनों को सुनें। आज के सुसमाचार पाठ मारकुस के सुसमाचार के 13वें अध्याय के 33 से 43 पदों से लिया गया है।

संत मारकुस 13, 33-43

33) ''सावधान रहो। जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आयेगा।
34) यह कुछ ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य विदेश चला गया हो। उसने अपना घर छोड़ कर उसका भार अपने नौकरों को सौंप दिया हो, हर एक को उसका काम बता दिया हो और द्वारपाल को जागते रहने का आदेश दिया हो।
35) तुम नहीं जानते कि घर का स्वामी कब आयेगा- शाम को, आधी रात को, मुर्गे के बाँग देते समय या भोर को। इसलिए जागते रहो।
36) कहीं ऐसा न हो कि वह अचानक पहुँच कर, तुम्हें सोता हुआ पाये।
37) जो बात मैं तुम लोगों से कहता हूँ, वही सब से कहता हूँ-जागते रहो।''


सावधान रहो
मित्रो, मेरा पूरा विश्वास है कि आपने प्रभु के दिव्य वचनों को ध्यान से सुना और इसके दारा आपको और आपके परिवार के सदस्यों को आध्यात्मिक लाभ हुए हैं। आज के पाठों पर चिन्तन करने से हम पाते हैं कि आज प्रभु ने सबसे पहले जिस बात को बताने का प्रयास किया है वह कि हम सावधान रहें। कई बार हमने अपने माता-पिता या बड़े जनों को यह कहते सुना है ‘ठीक से रहना’ ‘ठीक से जाना’ सब ‘कुछ अच्छा करना’ या फिर ‘ध्यान देना’ या ‘देख के चलना’ आदि- आदि।

मित्रो, ये सभी वाक्य प्रभु के सावधान रहो के समान ही है। प्रभु को मालूम है कि हम अपने जीवन में इतने व्यस्त रहते हैं कि हम जीवन की सभी बातों को या घटनाओं पर गौर नहीं करते हैं। हम सोचते हैं कि साधारण घटनायें हैं। कई बार हम यह भूल जाते हैं कि हम ईश्वर के बेटे बेटियाँ है कई बार हम यह भूल जाते है कि हमें फिर से प्रभु के पास वापस जाना है वही हमारी अंतिम मंजिल है। कई बार हम यह भी भूल जाते है कि हमें अपना कर्त्तव्य कार्य पूरा करना है। हमें यह याद नहीं रहता कि हमें प्रभु के पास वापस जाना है और हमें अपने कार्यों का हिसाब देना है।

मित्रो, सावधान रहना अर्थात् सचेत रहना। सचेत रहना अर्थात् इस बात पर सदा ध्यान देते रहना कि हमारा जीवन सुरक्षित रहे। इस बात को जानना कि हम जो कर रहे हैं वह उचित कार्य है। और यह भी जानना कि हमारी आत्मा भी सुरक्षित रहे। और हमारा मन इस बात के उत्साहित रहे कि वह किसी का इंतज़ार कर रहा हो।

जागते रहो
मित्रो, दूसरी बात जिस पर प्रभु ने हमारा ध्यान खींचने का प्रयास किया है वह है कि हम जागते रहें। जागते रहने का अर्थ है कि हम जानें कि हम क्या कर रहे हैं। हम यह भी जाने कि जो भी कर्त्तव्य काम हमें करना है उसे हम करते रहें। मित्रो, प्रभु ने जिस दृष्टांत को हमारे बताया है उसमें प्रभु ने इस बात पर बल दिया है मालिक को बहुत खुशी होगी जब वह घर आये और अपने नौकरों को जागता हुआ पाये।जागता हुआ पाने का अर्थ है व्यक्ति अपना कार्य करता रहे। हम छोटे हैं या बड़े हम सबों को रोजदिन कुछ काम करने का दायित्व सौंपा गया है और इसे पूरा करने से ही प्रसन्नता मिलती है । मित्रो, प्रभु हमसे चाहते हैं कि हम अपना कर्त्तव्य काम करें।

प्रभु का आना
मित्रो, तो आगमन का सप्ताह शुरु हो रहा है। आगमन का अर्थ है आना। प्रभु का आना। आज कलीसिया सब विश्वासियों को प्रभु के आगमन के संबंध में तीन बातों को याद दिलाना चाहती है। पहली बात तो है कि प्रभु हमारे पास रोज आते हैं। वे रोज हमें अपनी आशिष से भर देना चाहते हैं और हमारे हर काम में अपनी कृपा देना चाहते हैं । कई बार प्रभु विभिन्न जरुरतमंद व्यक्तियों के रूप में आते हैं प्रभु हमारे पास विभिन्न घटनाओं में आते हैं। और इसलिये कलीसिया चाहती है कि हम येसु को पहचानें और अपने को एक ऐसा उपहार बनायें ताकि जब हम प्रभु के पास लौटें तो हमारे पास वे सब कुछ हों जिसे ईश्वर पसंद करते हैं।


येसु को पहचानना

मित्रो, प्रभु हमें बताना चाहते हैं कि हम प्रभु को उचित सम्मान दें लोगों और घटनाओं में येसु को पहचानें ताकि अंतिम दिन में हम प्रभु के पुरस्कार को प्राप्त कर सकें। मित्रो, प्रभु के आगमन के बारे में कलीसिया हमें एक और बात वताती है वह है कि प्रभु एक दिन महिमा के साथ आयेंगे। यह हमारे जीवन में प्रभु आगमन का अंतिम दिन होगा। कलीसिया के विश्वास के अनुसार प्रभु दुनिया का विचार करने के लिये आवेंगे। इस आगमन में प्रभु हमारे जीवन का मूल्यांकन करेंगे और हमारे कार्यो का लेखा-जोखा लेने के बाद वे हमारा न्याय करेंगे। उस न्याय में हमें हमारे कर्मों का पुरस्कार प्रदान किया जायेगा।

समय मालूम नहीं
मित्रो, अगर आप आज के सुसमाचार पर गौर करेंगे और विचार करेंगे तो एक बात तो स्पष्ट है कि हमें यह तो मालूम है कि प्रभु आयेंगे पर यह सही में मालूम नहीं है कि वे कब आयेंगे। मित्रो, आज विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि वह बहुत सारी बातों के बारे में जानकारी दे देती है पर अब भी विज्ञान यह नहीं बता पाती है कि किस व्यक्ति को कितने समय तक इस दुनिया में जीवित रहना है । मित्रो, जरा सोचिये न बुधवार की रात को जो आतंकवादी हमले भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई में हुए और उससे जितने निर्दोष लोगों की अचानक मौतें हो गयी यह क्या दिखाता है। मित्रो, यह यही दिखाता है कि हमारा जीवन ईश्वर के हाथ में है । हमारे जीवन का अंत कभी भी हो सकता है। हम जीवन के मालिक नहीं है। चाहे हमारे पास कितना ही ताकत धन दौलत घर बंगले रुपये पैसे सोना चाँदी क्यों न हों हमारा जीवन भगवान के हाथ में है। चाहे हम पाँच सितारा होटलों में ही क्यों न रहते हैं। आखिर जीवन का अंत हो जाता है। हमें ईश्वर के पास लौटना ही है वही हमारी मंजिल है। ईश्वर के पासा लौटना ही हमारे जीवन का अंतिम लक्ष्य है। और मित्रो, , ईश्वर के पास जब हम लौटते हैं तो अपने कार्यो का लेखा-जोखा देना पड़ेगा। और उसी के आधार पर ईश्वर हम अपना पुरस्कार देंगे।

मृत्यु पर चिन्तन

मित्रो, आज के दिन में प्रभु हमसे चाहते हैं कि हम अपने जीवन के साथ साथ अपने मृत्यु के बारे में भी मनन ध्यान करें। मित्रो, यदि हम अपनी मृत्यु के बारे में बार-बार मनन करेंगे तो हम जीवन को अर्थपूर्ण तरीके से जीना सीख जायेंगे। हम जीवन को मह्त्व देना सीख जायेंगे। हम यह जान जायेंगे कि जीवन एक तैयारी का समय है प्रभु से मिलने का, ईश्वर से मिलने का। हम यह भी जान जायेंगे कि जब हम इस दुनिया से जायेंगे तो सिर्फ हमारी आत्मा प्रभु के पास पहुँचेगी और वहाँ पर उन्हीं बातों के बारे में विचार किया जायेगा जो मरती नहीं है अर्थात हमारे भले कार्य हमारे सत्कार्य हमारे जनहित के कार्य ।

प्रभु से मिलने को तैयार रहें

मित्रो, आज प्रभु बार-बार हमसे कह रहे हैं कि हम तैयार रहें, हम सावधान रहें हमें जीवन के अपने हर क्षण को यही माने की हम प्रभु से मिलने की तैयारी कर रहे हैं। अगर हमने ऐसा किया तो हम जब भी मौत आये हम कहेंगे प्रभु मैं तैयार हूँ। हम कहेंगे प्रभु तूने हमें जीवन का उपहार दिया था अब मैं खुद उपहार बन कर आपके पास आ रहा हूँ मुझे स्वीकार कर लीजिये।तब हम प्रसन्न रहेंगे और जग प्रसन्न रहेगा और हमें प्रभु की ओर से जीवन का सर्वोच्च उपहार पाने से कौन रोक पायेगा।


































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