2014-11-26 19:36:41

कलीसिया साधन है साध्य नहीं


वाटिकन सिटी, बुधवार 26 नवम्बर, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, कलीसिया विषय पर धर्मशिक्षा माला को जारी रखते हुए हम कलीसिया साध्य नहीं साधन है पर चिन्तन करें।
द्वितीय वाटिकन महासभा ने हम इस बात की याद दिलायी है कि कलीसिया अपने आप में एक साध्य नहीं है पर वह एक तीर्थयात्रा पर है ताकि एक दिन वह ईश्वर के राज्य में प्रवेश कर सके। और कलीसिया इस धरा पर एक बीज के समान है।

काथलिक कलीसिया की यह यात्रा तब उस परिपूर्णता तक पहुँचेगी जब उसका समय पूरा हो जायेगा। वह एक ऐसा समय होगा जब समग्र विश्व आनन्द और शांति तथा ईश्वर के प्रेम से सराबोर होकर एक नया स्वर्गीय येरूसालेम में परिवर्तित हो जायेगा।

जब कलीसिया अपनी यात्रा स्वर्ग की ओर करती है तब भी हम दुनिया के लोग उनके साथ एकता का अनुभव करते हैं जो हमसे पहल इस दुनिया से चले गये हैं और स्वर्ग में विद्यमान हैं।

जो ख्रीस्तीय विश्वासी स्वर्ग में हैं वे हमारे लिये प्रार्थना करते हैं और ऐसी आत्मायें जो शोधक अग्रि में उन्हें हम अपनी प्रार्थनाओं के द्वारा याद करते हैं विशेष कर के जब हम दैनिक प्रार्थऩायें करते और यूखरिस्तीय बलिदान में हिस्सा लेते हैं।

कलीसिया के विश्वासियों के रूप में हम इस बात को अलग –अलग रूप से नहीं देखते हैं कि कौन जीवित है और कौन मृत पर हम इस तरह से समझने का प्रयास करते हैं कि कौन येसु मसीह के साथ है और कौन नहीं।

प्रेरित संत पौल हमें इस बात को बतलाते हैं कि न केवल पूरी मानवता बुराइयों से मुक्ति प्राप्त करेगी और एक नयी सृष्टि बन जायेगी। दुनिया की सब वस्तुओं को पूर्णता की उँचाई प्राप्त होगी। और इस प्रक्रिया में मदद करना ही हमारा और कलीसिया का मिशन और बुलाहट है।
आइये हम माता मरिया की मध्यस्थता से प्रार्थना करें ताकि वह हम पर अपनी दया दृष्टि लगाये और हमारी मदद करे ताकि हम विश्वास और आशा के चिह्न बन सकें।


इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया फिनलैंड, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. फिनलैंड, जापान, उगान्डा, कतार, मॉल्टा, डेनमार्क , कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।










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