2014-11-21 15:44:30

प्रवासियों की प्रेरिताई पर 7 वें विश्व कॉग्रेस के प्रतिनिधियों से संत पापा ने मुलाकात की


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 21 नवम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 21 नवम्बर को क्लेमेंटीन सभागार में प्रवासियों की प्रेरिताई पर 7 वें विश्व कॉग्रेस के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर प्रवासियों के प्रति उनके समपर्ण एवं सहानुभूति की सराहना की तथा उन्हें धन्यवाद दिया।

उन्हें सम्बोधित कर उन्होंने कहा, ″प्रवासी शब्द कई विषयों पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है जिसका उद्देश्य है समस्त मानव जाति की आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक सशक्तिकरण, न्यायसंगत विश्व में योगदान, विश्व की एकता, मानव प्रतिष्ठा एवं जीवन के प्रति सम्मान आदि। आज हर प्रकार के विकास के बावजूद, दुखद परिस्थितियाँ देखने को मिलती हैं तथा बहुत से प्रवासी भविष्य की आशा लिए भटकते हैं विशेषकर, विश्व के अविकसित क्षेत्रों में। एक ओर अपने एवं परिवार के सम्मानपूर्ण अस्तित्व की चाह तथा दूसरी ओर आर्थिक संकट उन्हें निराश और हताश कर देता है।
संत पापा ने कॉग्रेस के सदस्यों से कहा कि कॉग्रेस ने प्रवासियों की प्रेरिताई में गतिशीलता तथा सहयोग प्रदान किया है।

कई कारणों से लोगों को प्रवासी बनना पड़ता है जैसे – असमानता, गरीबा, अत्याधिक जनसंख्या, बेरोजगारी, प्राकृतिक आपदा, युद्ध, अत्याचार तथा नयी पीढ़ी को उत्तम अवसर पाने की चाह। प्रवासियों का अंतिम लक्ष्य उनके तथा उनके परिवारों का उज्ज्वल भविष्य होता है। जिस देशों के लोग प्रवास के लिए दूसरे देशों की ओर प्रस्थान करते हैं वह यह दर्शाता है कि वहाँ बेरोजगारी है। प्रवास के कई अन्य कारण हो सकते हैं।

उधर, जो देश उन प्रवासियों का स्वागत करता है वहाँ एकता तथा संस्कृति संबंधी समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं। ऐसे समय में प्रवासियों की प्रेरिताई से जुड़े लोगों का कार्य बढ़ जाता है। उन्हें लोगों के बीच मध्यस्थ बन कर वार्ता तथा स्वीकृति की भावना को प्रोत्साहन देना आवश्यक हो जाता है। उनकी उपस्थिति स्थानीय लोगों एवं प्रवासियों के बीच की खाई को कम करती है।

संत पापा ने कहा कि कलीसिया की प्रेरिताई मात्र इतना तक सीमित नहीं है। वह जीवन यात्रा में प्रवासियों का साथ देती है तथा उनके विकास हेतु कार्य करती है। ख्रीस्तीय समुदाय प्रवासियों के स्वागत हेतु सदा तैयार रहें। उनके साथ ईश्वर की कृपा का आदान प्रदान करें विशेषकर, विश्वास की कृपा का। धर्मशिक्षा तथा संस्कारों द्वारा उनकी आत्मिक भलाई की चिंता करें।

संत पापा ने प्रवासियों की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बहुधा वे निराश एवं अकेलापन महसूस करते हैं। अतः कलीसिया को उनके लिए आशा बनकर, विकास प्रशिक्षण का प्रबंध करने तथा जागृति एवं मानव अधिकार के लिए उनकी आवाज बनकर, बिना भेद-भाव के उनकी मदद करने की आवश्यकता है ताकि सभी प्रवासी ईश्वर की संतान होने का अनुभव प्राप्त कर सकें।

संत पापा ने कहा कि कलीसिया विश्वासियों का समुदय है जो दूसरों के लिए ख्रीस्त का साक्ष्य प्रस्तुत करती तथा वह एक माता के समान है जिसके स्नेह की कोई सीमा नहीं है। वह उन लोगों को भी प्यार करती है जो भूखे हैं।

संत पापा ने कहा कि यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हम ईश्वर के पुत्र-पुत्रियाँ हैं तथा उन्हीं के प्रतिरूप में बनाये गये हैं। अतः अन्याय एवं असमानता को दूर करते हुए प्रवासियों के साथ भाईचारे की भावना रखना अति आवश्यक है।








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