2014-11-19 16:09:32

वर्ष ‘अ’ राजेश्वर ख्रीस्त येसु का महोत्सव, 23 नवम्बर, 2014


नबी एजेकिएल 24: 11-12,15-17
कुरिन्थियों के नाम पत्र 15: 20,26-28
संत मत्ती 25: 31-46
जस्टिन तिर्की, ये.स.

एक उपदेश की कहानी
मित्रो, आप लोगों को व्यक्ति के बारे बताता हूँ जिसके बारे में एक प्रवचनदाता ने वर्णन किया था। किसी समय में एक व्यक्ति रहा करता था। वह भगवान से यही प्रार्थना करता था कि प्रभु आप आइये मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहता हूँ। बहुत साल हो गये पर प्रभु ने उसकी प्रार्थना पर ध्यान नहीं दिया। रोज दिन व्यक्ति सिर्फ वही प्रार्थना करता था कि प्रभु आप मेरे घर आइये ना। एक संध्या को जब वह प्रार्थना कर रहा था तब प्रभु ने कहा कि वह उसके जन्मदिवस को उसके घर आयेगा। उसका जन्म दिन 24 नवम्बर को पड़ता था। व्यक्ति अपने आप को बहुत तैयार किया। घर द्वार को साफ किया औऱ अपने घर में मूर्तियों को साफ करके के सही स्थान में रख दिया। सचमुच उसका घर आज आसपास के सब घरों से सुन्दर लग रहा था। प्रभु ने अपने आने का समय नहीं बताया था इसलिये वह व्यक्ति सुबह से ही पूरी तैयारी से प्रभु की बाँट जोहने लगा। जब वह इन्तज़ार कर ही रहा था कि उस समय एक भिखारी आय़ा और कहा कि उसे खाने को कुछ दे दे। तब उस व्यक्ति ने उस भिखारी को भगाते हुए कहा कि आज उसके पास किसी के लिये कोई समय नहीं है क्योंकि उसके घर में एक महान् व्यक्ति मेहमान आने वाले हैं। उसने उस भिखारी को भगा दिया। कुछ देरी के बाद एक दूसरा व्यक्ति वहाँ आया और कहने लगा कि मेरा बेटा बीमार है और उस अस्पताल लेना है पर उसके पास पैसे नहीं है क्या वह उसकी मदद कर सकता है। तब इस व्यक्ति ने कहा कि उसके पास समय नहीं है क्योंकि उसे इससे अधिक महान् कार्य करने हैं। इतने में उस व्यक्ति की पत्नी ने कहा कि उस बाज़ार जाना है क्योकि घर में कुछ नहीं है। अगर कोई आ जाये तो वह उसे क्या देगी। जब उसने कुछ पैसे माँगे तो इस व्यक्ति ने उससे झगड़ा कर दिया कि वह ज्यादा पैसा खर्च करती है और उसकी पत्नी रूठ गयी और वह अपने कमरे में चली गयी।व्यक्ति अकेला रह गया और अकेला सोचने लगा कि प्रभु ने अपने वचन का पालन नही किया है। वह प्रभु से रात के समय शिकायत करेगा कि उन्होंने वादाखिलाफ़ी की है । दिन बीत गया प्रभु नहीं आये। जब रात को व्यक्ति प्रार्थना करने के लिये अपनी कोठरी में गया तब उसने प्रभु से कहा प्रभु आज मैं तैयार था आपके स्वगत के लिये पर आप नहीं आये। अब आप ही बताइये कि अगली बार आप कब मेरे घर आयेंगे। प्रभु ने कोई जवाब नहीं दिये। शांति छायी रही तब एक आवा़ज़ सुनाई पड़ी मैं तो आज तुम्हारे घर में तीन बार गया पर तुमने कभी भी मेरा स्वागत नहीं किये। व्यक्ति आकाश की ओर ताकने लगा तब फिर वही आवाज़ सुनाई पड़ी। मैं आज एक बार भूखा था एक बार बीमार था और एक बार मुझे पैसे की सख्त ज़रुरत थी। तुमने मुझे नहीं पहचाना।


मित्रो, आज हम रविवारीय आराधना विधि चिन्तन कार्यक्रम के अन्तर्गत पूजन विधि पंचांग के वर्ष के अन्तिम रविवार के पाठों के आधार पर मनन-चिन्तन कर रहें हैं। आज कलीसिया ख्रीस्त के राजा होने का त्योहार मनाती है। प्रभु राजा हमें बताना चाहते हैं कि हम प्रभु को गरीबों, बीमारों, भूखों और ज़रुरतमंदों में पहचानें और उनकी मदद करें तब ही हमें स्वर्गीय पुरस्कार मिलेगा। आइये हम संत मत्ती रचित सुसमाचार के 25वें अध्याय के 31 से 46 पदों पर चिन्तन करें।

31) ''जब मानव पुत्र सब स्वर्गदुतों के साथ अपनी महिमा-सहित आयेगा, तो वह अपने महिमामय सिंहासन पर विराजमान होगा
32) और सभी राष्ट्र उसके सम्मुख एकत्र किये जायेंगे। जिस तरह चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग करता है, उसी तरह वह लोगों को एक दूसरे से अलग कर देगा।
33) वह भेड़ों को अपने दायें और बकरियों को अपने बायें खड़ा कर देखा।
34) ''तब राजा अपने दायें के लोगों से कहेंगे, 'मेरे पिता के कृपापात्रों! आओ और उस राज्य के अधिकारी बनो, जो संसार के प्रारम्भ से तुम लोगों के लिए तैयार किया गया है;
35) क्योंकि मैं भूखा था और तुमने मुझे खिलाया; मैं प्यासा था तुमने मुझे पिलाया; मैं परदेशी था और तुमने मुझको अपने यहाँ ठहराया;
36) मैं नंगा था तुमने मुझे पहनाया; मैं बीमार था और तुम मुझ से भेंट करने आये; मैं बन्दी था और तुम मुझ से मिलने आये।'
37) इस पर धर्मी उन कहेंगे, 'प्रभु! हमने कब आप को भूखा देखा और खिलाया? कब प्यासा देखा और पिलाया?
38) हमने कब आपको परदेशी देखा और अपने यहाँ ठहराया? कब नंगा देखा और पहनाया ?
39) कब आप को बीमार या बन्दी देखा और आप से मिलने आये?''
40) राजा उन्हें यह उत्तर देंगे, 'मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ- तुमने मेरे भाइयों में से किसी एक के लिए, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, जो कुछ किया, वह तुमने मेरे लिए ही किया'।
41) ''तब वे अपने बायें के लोगों से कहेंगे, 'शापितों! मुझ से दूर हट जाओ। उस अनन्त आग में जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गई है;
42) क्योंकि मैं भूखा था और तुम लोगों ने मुझे नहीं खिलाया; मैं प्यासा था और तुमने मुझे नहीं पिलाया;
43) मैं परदेशी था और तुमने मुझे अपने यहाँ नहीं ठहराया; मैं नंगा था और तुमने मुझे नहीं पहनाया; मैं बीमार और बन्दी था और तुम मुझ से नहीं मिलने आये'।
44) इस पर वे भी उन से पूछेंगे, 'प्रभु! हमने कब आप को भूखा, प्यासा, परदेशी, नंगा, बीमार या बन्दी देखा और आपकी सेवा नहीं की?''
45) तब राजा उन्हें उत्तर देंगे, 'मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ - जो कुछ तुमने मेरे छोटे-से-छोटे भाइयों में से किसी एक के लिए नहीं किया, वह तुमने मेरे लिए भी नहीं किया'।
46) और ये अनन्त दण्ड भोगने जायेंगे, परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।''

मित्रो, मेरा पूरा विश्वास है कि आपने आज के सुसमाचार पाठ को गौर से सुना है। आज के पाठ में मुझे दो बातों ने प्रभावित किया हैं । पहली बात तो है लोगों का सवाल कि प्रभु हमने कब आपको भूखा, प्यासा, बीमार, परदेशी और बंदी देखा। दूसरी बात जिसने मुझे प्रभावित किया वह था प्रभु का ज़वाब कि तुमने मेरे छोटे-से-छोटे भाई या बहन के लिये कुछ भी भला कार्य किया वह तुमने मेरे लिये किया।

प्रभु के लिये कार्य
मित्रो, , क्या प्रभु की बातों से आप प्रभावित नहीं हुए। कई बार हमने लोगों को कहते हुए सुना है कि मैं दूसरो के लिये भला कार्य करता हूँ पर कोई ध्यान ही नहीं देता है। ऐसे लोगों के लिये प्रभु आज कह रहे हैं कि यदि तुम भला कार्य करते हो तो इसका हिसाब कोई करे या न करे प्रभु को इसके बारे में अवश्य ही जानकारी है । और प्रभु हर एक भले कार्य का पुरस्कार अवश्य देंगे। हमने लोगों का यह भी कहते सुना है कि अगर सब लोग बुरा कार्य करते हैं तो केवल मैं भला कार्य क्यों करुँ इससे दुनिया का क्या भला होने वाला है।


भला कार्य

मित्रो, अगर आपके मन-दिल में ये बातें गूँजती रहती हैं औऱ इसलिये यदि आप भला कार्य नहीं करते हैं तो प्रभु की इन बातों को गौर से सुनिये वे आज हमसे कह रहे हैं कि यदि तुम कोई भी भला कार्य किसी के लिये भी क्यों न किया हो वह व्यर्थ कभी नहीं जायेगा।मित्रो, यदि हम प्रभु को यह बताना चाहते हैं कि हम प्रभु को प्यार करते हैं प्रभु हमसे चाहते हैं कि हमें इन छः कार्यों को अवश्य करें । मनुष्य की ये छः जरुरतें ऐसी हैं जो जिसे व्यक्ति सहज ही नज़रअंदाज़ कर सकता है। हम अपने आप की चिंता इतनी होती है कि हम भूल जाते हैं कि कोई भूखा भी अपने आस-पास में है।

भूखों की मदद
मित्रो, अगर हम भोजन खाते हैं और एक व्यक्ति वहाँ भूखा है तो इससे दुनिया में शांति की स्थापना कभी नहीं हो सकती है। जब घर में एक व्यक्ति भी भूखा है तो इससे येसु राजा का यह सपना कि ईश्वरीय राज्य इस धरा पर आये कभी भी पूरा नहीं होगा। भोजन खिलाने के बारे में बोलते हुए प्रभु येसु हमसे यही बताना चाहते हैं कि हम बाँटना सीखें। वे हमें बताना चाहते हैं कि हम देने में जो खुशी है वह अकेले खाने में नहीं है।

प्यासों की मदद
इस दुनिया में ऐसे जरुरतमंद लोग भी है जिन्हें मदद किये जाने की आवश्यकता है वे हैं जो प्यासे हैं। वे अच्छी बातों के लिये तरस रहे हैं। कई लोग ऐसे हैं जो चाहते हैं कि उनके आध्यात्मिक प्यास को कोई बुझाये। कई लोग चाहते हैं कि उन्हें कोई समय दे ताकि वे अपने दिल की बात बता सकें और अपने जीवन में आध्यात्मिक ताकत पायें। अगर आपने किसी व्यक्ति को अपना बहुमूल्य समय दिया हो तो समझिये कि आपने प्रभु की इच्छा पूरी की है।

परदेशियों की मदद
इस दुनिया में ऐसे जरुरतमंद लोग भी है प्यारे मित्रो, जो परदेशी हैं। परदेशी अर्थात् वे नहीं जानते हैं कि उन्हें क्या करना है। परदेशी का अर्थ सिर्फ यह नहीं है कि व्यक्ति रास्ता खो गया है पर ऐसा व्यक्ति जो अकेला महसूस करता है।वह एक ऐसा व्यक्ति जिसे सहारे की आश्वयकता है जिसे किसी के सुसंगति की आवश्यकता है।वह एक ऐसा व्यक्ति है जिस मार्गदर्शन की आवश्यकता है। क्या हमारे पास समय है ऐसे लोगों के लिये। क्या हमने ऐसे लोगों को अपने जीवन में स्थान दिया। या हमने यह कहकर टाल दिया है कि मुझे अपने लिये समय नहीं है तो परदेशियों का क्या करें। यदि हमने ऐसे लोगों के लिये समय दे पाया है तो हम येसु के कृपापात्र अवश्य होंगे।

बीमारों की मदद
चौथे प्रकार के जरुरतमंद लोग वे हैं जो बीमार हैं। मुझे मालूम है कि जब कोई बीमार हो जाता है तो उसे कैसा लगता है। उस व्यक्ति को लगता है कि वे अकेला हो गया है। कई बार तो बीमारी इतनी बड़ी और लंबी होती है कि उसे लगता है कि जीवन का कोई अर्थ नहीं है। मित्रो, प्रभु के नज़र में ऐसे लोग भी ज़रुरतमंद लोग हैं। क्या हमने अपने जीवन में कोई प्रयास किये हैं और बीमारों के लिये समय निकाल पाया है ताकि उन्हें यह आभास हो कि ईश्वर उन्हें प्यार करता है। न केवल शारीरिक बीमारी बल्कि आध्यात्मिक रूप से बीमार लोगों के लिये क्या हमारे पास समय है या हम यह कह कह कर उन्हें छोड़ देते हैं कि वह अब सुधरने वाला नहीं है।




सुरक्षितों की मदद
पाँचवें प्रकार के लोग वे लोग हैं जिनके पास तन ढँकने को कपड़ा नहीं है। मित्रो, वे इतने गरीब हैं कि उनके पास अपनी सुरक्षा के लिये कुछ नहीं है। तन ढँकने के लिये कुछ न होना अर्थात् अपनी रक्षा के लिये कुछ नहीं होना। मित्रो, आपने देखा होगा कि कई लोग इतने गरीब हैं कि उनके शारीरिक सुरक्षा की ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं होता। कई बार समाज में वे इतने निचले दबके में आते हैं कि उनके हितों के बारे में बोलने वाला कोई नहीं होता। क्या हमने उनके लिये अपनी बुद्धि और अपनी ताकत का उपयोग किया है ताकि उनका जीवन सुधरे या समृद्ध बने। या हमने यह कह कर टाल दिया है कि हम कितने ग़रीबों की मदद करेंगे।

बंदियों की मदद
मित्रो, छटवें प्रकार के ग़रीब या कमजोर वे लोग हैं जो बंदी हैं । किसी कारण से उनकी स्वतंत्रता छीन ली गयी है और उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। कई लोग तो सही में बंदीगृह में हैं और कई लोग तो किसी बुरे लत के कारण येसु की इच्छा के अऩुसार जीवन नहीं जी पा रहे हैं। क्या हमारे पास समय हैं ऐसे लोगों के लिये। क्या हम यह कह कर टाल देते हैं कि जो जैसा किया है उसे वैसा फल तो मिलेगा ही।

प्रभु का एक सवाल
मित्रो, जीवन के अन्त में प्रभु हमसे सिर्फ एक ही सवाल करने जा रहे हैं। वे पूछेंगे कि क्या तुमने मेरे छोटे-से-छोटे भाई या बहन के लिये कुछ किया। क्या तुम्हारे दिल में उनके प्रति कोई दया के भाव थे। क्या तुमने अपना कुछ समय उनके लिये निकाला क्या तुमने अपनी सम्पति का कुछ हिस्सा उनके लिये खर्च किये क्या तुमने अपनी बुद्धि का उपयोग किया ताकि ऐसे लोगों का जीवन बेहतर हो अच्छा हो।

मित्रो, क्या आपका जवाब होगा मैंने उन्हें नहीं पहचाना। मित्रो, अगर हम चाहते हैं कि हम प्रभु राजा दुनिया के मालिक को अपना उचित प्यार दें, इस दुनिया में असल सुख को पायें और स्वर्ग के अधिकारी हों तो आइये हम भूखों में प्यासों में नगों में परदेशियों में बीमारों में बंदियों में और जरुरतमंदों में येसु का पहचानें. ऐसा धर्म कार्य करने का पुरस्कार न केवल दुनिया के अन्त में मिलेगा पर हम स्वर्गीय आनन्द की अनुभूति इसी दु्निया में प्राप्त करेंगे। ऐसा करने से धरती ही हमारे लिये स्वर्ग बन जायेगी।












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