वाटिकन सिटी, बुधवार 19 नवम्बर, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के
अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, कलीसिया विषय पर धर्मशिक्षामाला
को जारी रखते हुए हम पवित्रता की बुलाहट पर मनन-चिन्तन करें। कलीसिया का प्रत्येक
सदस्य इस बुलाहट में सहभागी है। हममें से प्रत्येक जन संत बनने के लिये बुलाये गये हैं।
पवित्रता ईश्वर का वरदान है इसे हम मानव की उपलब्धि नहीं कह सकते हैं।
प्रेरित
संत पौल एफेसियों को लिखे पत्र में कहते हैं कि येसु ने हमें प्यार किया और अपने को कलीसिया
के लिये दे दिया ताकि कलीसिया पवित्र बने।
बपतिस्मा संस्कार के द्वारा प्रत्येक
ख्रीस्तीय पवित्र किया गया है और इस बात के लिये आमंत्रित किया गया है कि वह पवित्रता
के गुण में आगे बढ़े।
व्यक्ति चाहे जीवन के किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो उस
ईश्वर का आमंत्रण है कि वह अपने दायित्वों को निभाते हुए ईश्वर और अपने पड़ोसियों के
साथ प्रार्थना एवं सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करे और अपने कार्यों को करते हुए ही संत
बने।
आज हम अपने-आप से प्रश्न करें कि हमने संत बनने की बुलाहट को किस तरह से
जीया है? आज प्रभु हमें आमंत्रित करते हैं कि हम सृष्टि की हर वस्तु में आध्यात्मिक आनन्द
का अनुभव करें और सबों के लिये प्रेम भरा उपहार बनें।
इस तरह से पवित्रता में
आगे बढ़ने का अर्थ है प्रत्येक दिन बेहतर प्राणी बनना, स्वार्थ और अंहकार की भावना से
ऊपर उठकर अपने भाई – बहनों के लिये एक अच्छे कारिन्दे के समान कार्य करना।
इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने भारत, इंगलैंड,
चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण
कोरिया फिनलैंड, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. फिनलैंड,
जापान, उगान्डा, कतार, मॉल्टा, डेनमार्क , कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका
और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास
में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद दिया।