आध्यात्मिक शिथिलता की स्थिति से बचने हेतु संत पापा ने सावधान किया
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 18 नवम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ ″सुषुप्त, आराम की खोज करने वाला
एवं दिखावा के ख्रीस्तीय बनने से सावधान रहें।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित
अतिथि आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में
कही।
मंगलवार 18 नवम्बर को पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में उन्होंने
कहा कि मन परिवर्तन एक कृपा है यह ईश्वर प्रदत्त वरदान है। संत पापा ने संत योहन
रचित प्रकाशना ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ यकेरियस का येसु से मुलाकात को
प्रस्तुत किया गया है। पाठ में प्रभु लौदिकेया के ख्रीस्तीयों को मन-परिवर्तन करने का
आह्वान करते हैं क्योंकि वे विश्वास में ढीले पड़ गये थे और वे आराम जी जिंदगी जी रहे
थे।
संत पापा ने कहा कि जो लोग इस प्रकार की जिंदगी जीते हैं वे सोचते हैं कि
रविवार को गिरजा जाना, थोड़ा समय प्रार्थना में बिताना तथा अपने में अच्छा अनुभव करना,
ख्रीस्तीय जीवन के लिए पर्याप्त है। वे सोचते हैं कि ख्रीस्तीय होने का कर्तव्य अपना
इसी से पूरा हो जाता है। संत पापा ने ऐसे लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी यह स्थिति
पाप की स्थिति है क्योंकि वे आध्यात्मिक रूप से सुषुप्त हैं। येसु ऐसे लोगों की तुलना
गुनगुने पानी से करते हैं और कहते हैं कि वे उसे उगल देंगे क्योंकि वे न तो गरम हैं और
न ठंडा।
संत पापा ने एक अन्य प्रकार के ख्रीस्तीयों को दिखावे के ख्रीस्तीय की
संज्ञा दी तथा कहा कि उन्हें जीवित समझा जाता है किन्तु वे मुर्दे हैं और दिखावा उनका
कफन है। येसु उन्हें जागते रहने की सलाह देते हैं।
संत पापा ने चिंतन हेतु कुछ
सवाल विश्वासियों के सम्मुख रखा, ″क्या मैं दिखावा के लिए ख्रीस्तीय हूँ? क्या मैं आध्यात्मिक
जीवन जीता हूँ? क्या मैं पवित्र आत्मा को सुन पाता हूँ? यदि हमें किसी चीज की कमी
नहीं होती है, परिवार अच्छा है, हर आवश्यकता की वस्तु उपलब्ध है तथा हमने कलीसिया में
विवाह संस्कार ग्रहण किया है तो हमें किसी के मदद की आवश्यकता महसूस नहीं होती है तो
यह हमारे मृतप्राय होने की स्थिति को दर्शाता है।
संत पापा ने एक तीसरे प्रकार
के लोगों को कहा कि उन्हें जकेयुस के समान मन-परिवर्तन करने की आवश्यकता है। यह दल ऐसे
लोगों का है जो भ्रष्ट हैं। जकेयुस एक अधिकारी था जो चुँगी जमा करने का कार्य करता था।
रोमियों के लिए वह अपने देश को धोखा दे रहा था। संत पापा ने कहा कि हम में से कई लोग
भी उसी जकेयुस के समान हैं जो लोगों की सेवा करने के बजाय उनका शोषण करते हैं और उनका
गलत फायदा उठाते हैं।
संत पापा ने कहा कि निश्चय ही वह मृत नहीं था किन्तु भ्रष्ट
था, हर प्रकार की गंदगी से भरा था किन्तु उसने अपने अंदर कुछ कमी महसूस की जिसके कारण
उसे चंगाई प्राप्त हुई।
संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा चालाक है उसने भ्रष्ट
व्यक्ति पर भी उत्सुकता का बीज बोया। जनता का नेता होने पर भी जकेयुस येसु को देखने की
लालसा से पेड़ पर चढ़ गया। यह निश्चय ही हास्यास्पद था किन्तु जकेयुस ने इसकी परवाह नहीं
की। यही पवित्र आत्मा का कार्य है जो व्यक्ति को ईश वचन सुनने के लिए तैयार करता है।
जकेयुस ने जब येसु की वाणी सुनी उसका मन बदल गया उसने पश्चाताप किया तथा अपने कुकर्मों
का चौगुणा लौटाने की प्रतिज्ञा की।
संत पापा ने कहा कि ईश्वर का वचन सब कुछ को
बदल सकता है किन्तु हमें कई बार उसपर विश्वास करने और उसे स्वीकार का साहस नहीं होता।
संत पापा ने कहा कि कलीसिया धर्मविधिक पंचांग के अनुसार अंतिम सप्ताह में है अतः ख्रीस्तीय
जीवन की यात्रा में आगे बढ़ने हेतु मन परिवर्तन की आवश्यकता है। हम ईश वचन को ग्रहण करें
सावधान रहें तथा वचन का पालन करें ताकि मन-परिवर्तन द्वारा नये जीवन की शुरूआत कर सकें।