2014-11-17 15:42:14

प्रतिभा का विकास आवश्यक


वाटिकन सिटी, सोमवार, 17 नवम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रविवार 16 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,
″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
इस रविवार का सुसमाचार पाठ अशर्फियों के दृष्टांत को प्रस्तुत करता है जो संत मती रचित सुसमाचार से लिया गया है। यह दृष्टांत उस व्यक्ति के बारे बतलाता है जिसने विदेश जाते समय अपने सेवकों को बुलाया और जिन्हें अपनी सम्पति सौंप दी। उसने प्रत्येक की योग्यता का ध्यान रखकर एक सेवक को पाँच हजार, दूसरे को दो हजार और तीसरे को एक हजार अशर्फियॉ दीं। इसके बाद वह विदेश चला गया। जिसे पाँच हजार अशर्फ़ियां मिली थीं, उसने तुरन्त जा कर उनके साथ लेन-देन किया तथा और पाँच हजार अशर्फियाँ कमा लीं। दूसरे सेवक ने भी वैसा ही किया किन्तु तीसरे सेवक ने सब कुछ खो देने के भय से अशर्फियों को जमीन के अंदर गाड़ दिया। स्वामी के वापस आने पर पहले एवं दूसरे सेवकों को शाबाशी तथा पुरस्कार मिला जबकि तीसरे को स्वामी से प्राप्त अशर्फी मात्र वापस करने पर फटकार एवं सज़ा मिली। (मती. 25꞉14-30)
संत पापा ने कहा, ″इस दृष्टांत में स्वामी येसु का प्रतीक है हम सभी सेवक हैं तथा अशर्फियाँ प्रभु द्वारा प्रदान की गयी हमारी प्रतिभा के प्रतीक हैं।″

हमारी प्रतिभा या विरासत क्या है? हमारी विरासत है ईश वचन, युखरिस्त, विश्वास, क्षमादान आदि। संक्षेप में, वे सभी चीजें जो मूल्यवान हैं और ईश्वर द्वारा हमें प्रदान की गयी हैं। उन्हें सिर्फ सुरक्षित रखना नहीं है किन्तु उनमें बढ़ना। अशर्फी हमारे व्यक्तिगत प्रतिभाओं को दर्शाता है जैसे- संगीत, खेल-कूद आदि। दृष्टांत के अनुसार ये सभी प्रतिभाएँ प्रभु द्वारा प्रदान की गयी हैं ताकि हम उसका उचित फल उत्पन्न करें।

आलसी और बेईमान सेवक द्वारा जमीन में गडढा बनाया जाना दर्शाता है कि ज़िम्मेदारी लेने का भय, रचनात्मकता तथा प्यार की उर्वरता को अवरूद्ध कर देता है। येसु नहीं चाहते कि उनके द्वारा प्रदान की गयी कृपा सुरक्षित रखी जाए किन्तु लोगों की भलाई हेतु उसका अधिकतम प्रयोग किया जाए। जो प्रतिभा हमने प्राप्त किया है उसे दूसरों के बीच बांटें और इस प्रकार उसका विकास होगा। दृष्टांत में ईश्वर कहते हैं, ″यहाँ मेरी करुणा, मेरी कोमलता और क्षमाशीलता है इसे ले लीजिए और इसका अधिकतम प्रयोग कीजिए।
संत पापा ने प्रश्न किया, ″इन कृपादानों का हमने क्या किया है? हमारे विश्वास ने कितने लोगों को प्रभावित किया है? ईश्वर पर हमारा भरोसा कितने लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बना है? हम अपने पड़ोसियों को कितना प्यार करते हैं? कोई भी परिस्थिति दूर और अव्यावहारिक ही क्यों न हो हमारी क्षमताओं को सवाँरने का स्थान बन सकता है किन्तु कुछ ऐसे भी जगह या परिस्थितियाँ हैं जो ख्रीस्त का साक्ष्य प्रस्तुत करने से हमें रोक देता है। जिस साक्ष्य की माँग येसु हमसे करते हैं वह बंद नहीं खुला है किन्तु यह हम पर निर्भर है कि हम कितने उदार हैं।

दृष्टांत हमें सिखलाता है कि हमें अपनी प्रतिभा को नहीं छिपाना चाहिए। सुसमाचार वचन को गाड़ना नहीं चाहिए किन्तु अपने जीवन द्वारा परिचालित करना चाहिए। क्षमा दान की कृपा जिसे ईश्वर हमें प्रदान करते हैं विशेषकर, मेल-मिलाप संस्कार में, उसे हमें अपने में बंद नहीं रखना चाहिए, उसे जीना चाहिए क्योंकि यह एक शक्ति को जो हमारी अहम द्वारा खड़ी की गयी दीवार को तोड़ती है। हमारे अवरूद्ध रास्ते में कदम आगे बढ़ाने में मदद करती है और जहाँ वार्ता बंद हो चुकी है वहाँ पुनः वार्तालाप की शुरूआत करती है। ये क्षमताएँ और कृपाएं हमें ईश्वर द्वारा प्राप्त हैं और जब हम साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं तो ये बढ़ते और फल लाते हैं।

संत पापा ने विश्वासियों को सलाह दी कि वे सुसमाचार को अपने घर लेकर जाएँ तथा उसका पाठ करें, साथ ही, उसका चिंतन भी करें। प्रतिभाएँ एवं क्षमताएँ सब ईश्वर ने हमें प्रदान किया है हम उनका प्रयोग किस प्रकार कर रहे हैं क्या हम उन्हें विकसित कर रहे हैं या क्या हमने उन्हें सुरक्षित रखा है।

ईश्वर हरेक को एक ही मात्रा में प्रतिभा प्रदान नहीं करते हैं हम व्यक्तिगत रूप से जानते हैं कि हमें कितना मिला है किन्तु एक चीज सभी को प्राप्त है। ईश्वर हम पर भरोसा करते हैं वे हम पर आशा रखते हैं यह ईश्वर की ओर से हम सभी के लिए समान है। भय से न घबरायें, किन्तु एक दूसरे पर भरोसा रखें। धन्य कुँवारी मरिया इस मनोभाव की साक्षात् प्रतिमूर्ति हैं। उन्हें महान कृपा प्राप्त है तथा उसका प्रत्युत्तर भी उन्होंने बड़ी उदारतापूर्वक दिया है। हम उनकी मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें कि हम एक भला और विश्वस्त सेवक बन कर हमारे प्रभु के आनन्द में सहभागी हो सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए जानकारी दी तथा कहा, ″आज सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को विश्व स्तर पर याद की जा रही है। हम उन भाई-बहनों की याद करते हैं जिन्होंने सड़क दुर्घटना में अपना जीवन गवाँ दिया है आशा है कि सड़क दुर्घटना के बचाव का लगातार प्रयास, विवेकपूर्ण व्यवहार तथा यातायात के नियम का सम्मान, इस प्रकार की दुर्घटनाओं में कमी लायेगी।
अंत में संत पापा ने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की तथा प्रार्थना करने का आग्रह किया।








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