वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार 13 नवम्बर, 2014. (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन
सिटी स्थित सान्ता मार्ता अतिथि निवास के प्रार्थनालय में बृहस्पतिवार 13 नवम्बर को,
यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित करते हुए कहा कि स्वर्ग का राज्य हमारे दिल में हैं।
उन्होंने
कहा कि आज हम उनके लिये धन्यवाद दें जो बिना शोर मचाये प्रार्थना द्वारा तथा विश्वास
के अनुसार अपने घर-परिवारों, कार्य स्थलों तथा समुदायों में जीते हुए ईश्वर के राज्य
का साक्ष्य देते हैं। उन्होंने कहा कि कई परिवारों में जहाँ महीना के अन्त में मात्र
कुछ पैसे रह जाते हैं पर वे प्रार्थना करना जारी रखते हैं, अपने बच्चों और बूजूर्गों
की देखभाल करते हैं तो मानिये कि वहाँ ईश्वर निवास करते हैं। संत पापा ने कहा कि
जो बीज ज़मीन के नीचे बढ़ता है वह शोर नहीं करता किन्तु चुपचाप बढता है उसी प्रकार ईश्वर
का राज्य तुरन्त लोगों को आकर्षित नहीं करता है वह लोगों के भीड़-भाड़ से अलग होता। संत
लूकस के सुसमाचार से लिये गये पाठ के आधार पर अपने चिन्तन प्रस्तुत करते हुए संत पापा
ने कहा कि ईश्वर ऐसा कदापि नहीं कहते हैं कि ईश्वर का राज्य एक तमाशा है वे कहते हैं
कि यह एक अर्थपूर्ण उत्सव है। कई बार हमारे उत्सव धीरे-धीरे तमाशा बनने लगते हैं जैसे
विवाह संस्कार। ऐसा लगता है कि कोई फैशन शॉ चल रहा है या कोई अन्य सांसारिक रीति रिवाज़
और इस तरह से यह संस्कार के रूप को बदल देता है। ईश्वर का राज्य मौन रहता है और वह एक
दिन आयेगा जब स्वर्ग का राज्य पूरी गरिमा के साथ प्रकट होगा।
उन्होंने
कहा कि स्वर्ग का राज्य हमारे दिन-प्रति-दिन के जीवन में ही प्रकट होता है। संत पापा
का विश्वास है कि उस दिन येसु अपनी महिमा के साथ आयेंगे लेकिन उसके पहले उऩ्हें दुःख
उठाना अर्थात् प्रत्येक दिन अपने क्रूस उठाकर चलना। दुःख, श्रम, परिवार और अच्छी चीज़ों
का क्रूस हमें अपने जीवन में रोज़ दिन उठाना है।
संत पापा ने सबों को आमंत्रित
करते हुए कहा कि हम ईश्वर से कृपा माँगें ताकि उऩकी कृपा से हम अपने दिल में प्रार्थना,
सेवा, सहयोग और क्षमा रूपी स्वर्ग के राज्य को बढ़ने दे पायें। ईश्वर का राज्य नम्र और
नन्हा होता है पर ईश्वर की कृपा से बढ़ता है।