2014-11-12 15:08:24

पाकिस्तानी स्कूलों द्वारा मलाला के प्रति विरोध प्रदर्शन


इस्लामाबाद, बुधवार, 12 नवम्बर 2014 (ऊकान)꞉ नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित पाकिस्तान की 17 वर्षीय बालिका मलाला जुसुफजाई का विरोध करने के लिए पाकिस्तानी स्कूलों की एक संस्था ने सोमवार 10 नवम्बर को ″मैं मलाला नहीं हूँ″ दिवस घोषित किया।

शिक्षा प्रचारक मलाला के सिर पर तालीबान ने अकटूबर 2012 को गोली मार दी थी किन्तु पुनः स्वास्थ्य लाभ हासिल कर अपना अभियान जारी रखने के लिए उन्हें नोवेल शांति पुस्कार प्रदान किया गया।

बालिकाओं की शिक्षा के अधिकार पर आवाज उठाने के कारण मलाला विश्वभर में प्रसिद्ध है किन्तु पाकिस्तान में उन्हें पूर्ण समर्थन प्राप्त नहीं हो रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि मलाला पाकिस्तान के खिलाफ पश्चिमी सभ्यता का प्रचारक है।

गत साल पाकिस्तान के सभी निजी स्कूलों को मलाला के संस्मरण की पुस्तिका को खरीदने से मना कर किया गया था।
मलाला का विरोध करने वाली पाकिस्तानी स्कूलों की संस्था ने कहा, ″मैं मलाला नहीं हूँ ″दिवस मलाला के पाकिस्तान विरोधी एवं इस्लाम के खिलाफ होने के कारण आयोजन किया गया है।″

स्कूल महासंघ के अध्यक्ष मिरजा काशिफ अली ने कहा, ″साफ जाहिर है कि मलाला सालमोन रशडी तथा तस्लीमा निस्रीन से ताल्लुक़ रखती तथा उनके वैचारिक क्लब से जुड़ी है।

उन्होंने कहा कि हम सालमोन रशडी की किताब के उस अध्याय का कड़ा विरोध करते हैं जिसमें सालमोन रशडी ने मलाला के ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का जिक्र किया है।
उन्होंने जानकारी दी कि ‘मैं मलाला नहीं हूँ’ दिवस को सार्थक बनाने के लिए जुलूस, सेमिनार तथा प्रेस कॉन्प्रेंस का आयोजन किया गया था।

मलाला की किताब तालिबान के क्रूर शासन पर आधारित उनकी जीवनी है जो पाकिस्तान के उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र स्थित स्वात घाटी में घटी थी।
मलाला इन दिनों ब्रिटेन में रह रही हैं जहाँ तालीबान द्वारा गोली लगने के बाद वे चिकित्सा के लिए ले जायी गयी थी। इस वर्ष अक्तूबर में उन्हें नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है।








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