वाटिकन सिटी, बुधवार 212 नवम्बर, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के
अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, पिछले सप्ताह हमने इस बिषय
पर चिन्तन किया कि पुरोहितों और डीकनों की सहायता से धर्माध्यक्ष के द्वारा ईशप्रजा की
देखभाल जारी रखता है। उन्हीं लोगों में पवित्र आत्मा की शक्ति से येसु उपस्थित रहते हैं
और कलीसिया की सेवा करते और उनके विश्वास को मजबूत करते हैं।
आज की धर्मशिक्षामाला
में हम चिन्तन करेंगे येसु के कार्यों को आगे बढ़ाने और कलीसिया की सेवा करने के लिये
आवश्यक गुणों के बारे में।
प्रेरित संत पौल कहते हैं कि दृढ़ विश्वास और पवित्रता
के अलावा धर्माध्यक्षों में दयालुता, शालीनता, धैर्य, दूरदर्शिता और लोगों की ध्यानपूर्वक
चिन्ता जैसे मानवीय गुणों का होना बहुत ज़रूरी है।
ये गुण आध्यात्मिक नेतृत्व
के लिये ज़रूरी है। संत पौल विशेष रूप से आग्रह करते हैं कि कलीसिया में जो लोग इस विशेष
कार्य के लिये अभिषिक्त हुए हैं उन्हें चाहिये कि वे उन गुणों को जीवित रखें क्योंकि
इन गुणों को स्वीकार करते हुए ही धर्माध्यक्ष, पुरोहित और डीकन अपने भाई-बहनों की सेवा
उदारतापूर्वक, प्रज्ञा तथा सहानुभूतिपूर्वक कर सकते हैँ। इस तरह से वे कलीसिया की एकता
विश्वास और प्रेम को मजबूत कर सकते हैं। आइये हम ईश्वर को धर्माध्यक्षों, पुरोहितों
और डीकनों के लिये धन्यवाद दें ताकि वे अपने प्रेरिताई कार्य को बखूबी कर सकें और दयालु
और प्रेमी पिता ईश्वर के जीवित चिह्न बन सकेँ।
इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा
समाप्त की।
उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम,
डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया फिनलैंड, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड,
फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. फिनलैंड, जापान, उगान्डा, कतार, मॉल्टा, डेनमार्क , कनाडा,
ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा
उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने
की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।