पाकिस्तान सरकार ने कब्ज़ा किये ख्रीस्तीय स्कूल को लौटाया
लाहौर, पाकिस्तान, मंगलवार 11 नवम्बर, 2014 (सीएनए) पाकिस्तान की राजधानी लाहौर के ईसाइयों
ने सरकार की उस घोषणा का स्वागत किया है जिसके अनुसार पंजाब प्राँत में अवस्थित सौ से
अधिक वर्ष पूर्व स्थापित संत फ्राँसिस हाई स्कूल को धर्मप्राँत को सौंप देगी। उक्त
बात की जानकारी देते हुए मेरी इम्माकुलेट चर्च के पल्ली पुरोहित फादर अन्द्रेयस निसारी
ने कहा कि वे ईश्वर को धन्यवाद देते हैं क्योंकि उन्होंने पंजाब की कलीसिया पर अपनी दयालुता
और कृपा प्रकट की है और इसीलिये सरकार ने एक अहम् फैसले में 30 वर्ष बाद संत फ्राँसिस
स्कूल, अनारकली को लाहौर धर्मप्राँत को लौटाने का निर्णय किया। फादर अन्द्रेस ने
पल्ली के उन लोगों के प्रति भी अपना आभार व्यक्त किया जिन्होंने स्कूल की वापसी के लिये
आन्दोलन चलाये थे और प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया था। फादर निसारी ने कहा कि स्कूल
के पुनर्संचालन का दायित्व प्राप्त करने के बाद वे स्कूल को उस उँचाई तक ले जाने चाहते
हैं जो बिना भेदभाव के सबों के लिये खुला रहेगा और अपने आदर्शों से यह राष्ट्र के नागरिकों
को अपनी सेवायें प्रदान करेगा। विदित हो कि सन् 1842 ईस्वी में स्थापित विद्यालय
को तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फी अली भुट्टो की राष्ट्रीयकरण नीति के कारण 30 वर्ष पहले
पल्ली से प्रशासनिक अधिकार छीन लिया गया था। भुट्टो की नीति के कारण ख्रीस्तीय स्कूल,
कॉलेज और संस्थानों को सरकार को देना पड़ा था। स्कूलों और शिक्षण संस्थानों के राष्ट्रीय
कारण उन्हें अपने अधिकारों से वंचित होना पड़ा था। इसके साथ-ही-साथ बैंक, उद्योगों, स्टील,
सीमेंट तथा कृषि मिलों का भी राष्ट्रीकरण कर दिया था। सन् 2004 में राष्ट्रपति परवेज़
ने अल्पसंख्यक स्कूलों का शर्तपूर्ण निजीकरण कर दिया था जिसके कारण लाहौर धर्मप्राँत
के संत फ्राँसिस स्कूल को छोड़ कर अन्य 16 स्कूलों को सरकार ने धर्मप्राँतो को लौटा दिया
गया था। लाहौर धर्मप्राँत सन् 2014 के आरंभ से ही सरकार से सदा माँग करती रही कि
उन्हें संत फ्राँसिस स्कूल लौटा दिया और प्रशासनिक ज़िम्मेदारी पूर्ण रूप से धर्मप्राँत
को दे दी जाये उन्होंने माँग कि स्कूल भवन को अवैधानिक रूप से प्रयोग करने के लिये
सरकार को चाहिये वह 10 साल के किराया भी स्कूल प्रबन्धन को दे।