2014-11-11 15:20:13

धर्माध्यक्षों का परमाध्यक्ष से मुलाकात, प्रेम संबंध में दृढ़ता


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 11 नवम्बर 2014 (वीआर अंग्रेजी)꞉ सेनेगल, मौरीतानिया, केप भेरदे तथा ग्वीनेया बीसाव के धर्माध्यक्षों से संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि धर्माध्यक्षों का परमाध्यक्ष से मुलाकात, उनके बीच प्रेमपूर्ण संबंध को मज़बूत करने का एक सुनहरा अवसर है। यह स्थानीय कलीसियाओं को रोम की कलीसिया से जोड़ती है।

कलीसिया के परमाध्यक्ष के साथ अपनी पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात, "आद लीमिना" के लिये सेनेगल, मौरीतानिया, केप भेरदे तथा ग्वीनेया बीसाव से रोम पधारे काथलिक धर्माध्यक्षों से मुलाकात कर सन्त पापा फ्राँसिस ने उन्हें अपना संदेश अर्पित किया।

संत पापा ने कहा कि यद्यपि इन अफ़्रीक़ी देशों में ख्रीस्तीयों की संख्या अल्प है तथापि वे उदार और साहस के साथ सुसमाचार का साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने धर्माध्यक्षों से आग्रह किया कि वे मुसलमानों के साथ निर्माणात्मक वार्ता करें।

संत पापा ने संदेश में अपने प्रेरितिक प्रबोधन ‘एवंजेली गौदियुम’ के शब्दों को लेते हुए धर्माध्यक्षों को प्रोत्साहन दिया कि वे आत्मा से अभियंजित होकर प्रेरिताई में एक दूसरे का सहयोग करें क्योंकि पवित्र आत्मा एकता में बनाये रखता तथा नवीन सुसमाचार के प्रचार हेतु सभी समय और सभी लोगों को साहस प्रदान करता है।

संत पापा ने उन्हें लोकधर्मियों की आवश्यकताओं से अवगत कराते हुए कहा कि धर्मप्रांत में ठोस सैद्धांतिक और आध्यात्मिक गठन हेतु सुसमाचार के मूल्यों को बढ़ावा दिया जाए तथा सार्वजनिक जीवन में विश्वास को हाशिए पर न रखा जाए।

संत पापा ने परिवार की प्रेरिताई पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस प्रकार सिनॉड में परिवार की प्रेरिताई पर विशेष ध्यान दिया गया है मैं भी उसी पर जोर देता हूँ क्योंकि परिवार समाज तथा कलीसिया की इकाई है। परिवार में ही विश्वास की आधारभूत बातों की शिक्षा दी जाती है।

पुरोहितों के प्रशिक्षण के विषय में संत पापा ने कहा, ″पुरोहिती प्रशिक्षण भविष्य का निर्णायक है। आपके देश में अलग परिस्थिति है किन्तु संख्या की अपेक्षा गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण है। मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि अपने पुरोहितों के करीब रहें विशेषकर, जो युवा हैं यह ख्याल रखें कि पुरोहित अभिषेक के पश्चात् भी वे प्रशिक्षण जारी रखें और अपने प्रार्थनामय जीवन में दृढ़ रहें।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को सलाह देते हुए कहा कि यद्यपि मुसलमानों की संख्या अधिक है कलीसिया को चाहिए कि रचनात्मक वार्ता का प्रयास जारी रखें। कलीसिया की अधिकारिक पहचान के लिए राजनीतिक अधिकारियों के साथ संबंध अच्छा बनाये रखें। यह सुसमाचार के प्रचार में भई सहायक होगा।









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