2014-11-10 14:42:05

लातेरन महागिरजाघर के समर्पण का पर्व


वाटिकन सिटी, सोमवार, 10 नवम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ रोम स्थित संत पेत्रुस, महागिजाघर के प्राँगण में रविवार 9 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

″अति प्रिय भाइयों एवं बहनो, सुप्रभात,
आज की धर्मविधि लातेरन महागिरजाघर के समर्पण का पर्व मनाती है जो रोम का महागिरजाघर है तथा परम्परा के अनुसार यह स्थानीय एवं विश्व भर के सभी गिरजाघरों की माता कही जाती है। ‘माता’ शब्द न केवल महागिरजाघर की इमारत को इंगित करता किन्तु यह पवित्र आत्मा द्वारा संचालित, रोम के धर्माध्यक्ष की अगुवाई में, कलीसिया के सभी सदस्यों की एकता पर स्थापित महागिरजाघर का प्रतीक है। हरेक इकाई की प्रकृति है सार्वभौमिक परिवार का निर्माण करना। जिस प्रकार एक परिवार में माता की भूमिका होती है उसी प्रकार, समस्त काथलिक कलीसिया के सभी स्थानीय समुदायों में लातेरन महागिरजाघर की भूमिका है।″

संत पापा ने कहा, ″इस पर्व के साथ, पृथ्वी पर फैली सभी स्थानीय कलीसियाएँ अपने विश्वास की एकता की घोषणा, रोम की कलीसिया तथा उसके धर्माध्यक्ष प्रेरित संत पेत्रुस के उतराधिकारी के साथ करते हैं।

जब कभी हम कलीसिया के समर्पण का पर्व मनाते हैं हम उस सच्चाई की याद करते हैं कि ईंट और पत्थर से बना मंदिर एक ‘आध्यात्मिक मंदिर’ का प्रतीक है जो एक जीवित कलीसिया है तथा इतिहास में इसके कार्य अपूर्व हैं। यह आध्यात्मिक मंदिर उसी प्रकार है जिस प्रकार प्रेरित संत पेत्रुस ख्रीस्त का प्रतिनिधित्व करते हैं, ″प्रभु वह जीवन्त पत्थर हैं, जिसे मनुष्यों ने तो बेकार समझ कर निकाल दिया, किन्तु जो ईश्वर द्वारा चुना हुआ और उसकी दृष्टि में मूल्यवान है। उनके पास आयें और जीवन्त पत्थरों का आध्यात्मिक भवन बनें। इस प्रकार आप पवित्र याजक-वर्ग बन कर ऐसे आध्यात्मिक बलिदान चढ़ा सकेंगे, जो ईसा मसीह द्वारा ईश्वर को ग्राह्य होंगे इसलिए धर्मग्रन्थ में यह लिखा है- मैं सियोन में एक चुना हुआ मूल्यवान् कोने का पत्थर रखता हूँ और जो उस पर भरोसा रखता है, उसे निराश नहीं होना पड़ेगा।
आप लोगों लिए, जो विश्वास करते हैं, वह पत्थर मूल्यवान है। जो विश्वास नहीं करते, उनके लिए धर्मग्रन्थ यह कहता है- कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया है, ऐसा पत्थर जिस से वे ठोकर खाते हैं, ऐसे चट्टान जिस पर वे फिसल कर गिर जाते हैं। वे वचन में विश्वास करना नहीं चाहते, इसलिए वे ठोकर खा कर गिर जाते हैं। यही उनका भाग्य है। (1पेत्रुस 4-8)

आज की धर्मविधि में, मंदिर के बारे येसु का कथन एक कड़वी सच्चाई को प्रकट करता है कि ईश्वर का मंदिर ईंट और पत्थर से बना मात्र एक इमारत नहीं है किन्तु उनका शरीर है जो जीवित पत्थरों से निर्मित है।

संत पौलुस हमें याद दिलाते हैं कि बपतिस्मा संस्कार द्वारा प्रत्येक ख्रीस्तीय ईश मंदिर के भाग हैं।(1कोरि. 3-9) वे ईश्वर की कलीसिया का निर्माण करते हैं, एक आध्यात्मिक भवन जो ख्रीस्त के रक्त और पुनर्जीवित प्रभु ख्रीस्त की आत्मा से पवित्र किये गये लोगों का एक समुदाय है जिन्हें विश्वास के वरदान को ग्रहण कर, ख्रीस्तीय साक्ष्य के रास्ते पर आगे बढ़ना है।

यद्यपि हम सभी जानते हैं कि विश्वास के जीवन एवं उसके साक्ष्य में दृढ़ बने रहना आसान नहीं है तथापि हमें आगे बढ़ना है और हमारे दैनिक जीवन द्वारा इसे प्रकट भी करना है। यही ख्रीस्तीयता है, जो वचन को नहीं किन्तु कर्म को अधिक महत्व देती है।

दृढ़ता, जो हमें जीवन प्रदान करता यह पवित्र आत्मा का वरदान है जिसकी हमें कामना करनी चाहिए। कलीसिया संसार में, जीवन तथा उसके मिशन का स्रोत है, उसकी उत्पत्ति ख्रीस्त में विश्वास की उद्घोषणा मात्र के लिए नहीं किन्तु यह विश्वास करने के लिए हुई है कि यह ईश पुत्र, मानव के मुक्तिदाता तथा प्रेमपूर्ण कार्य करने का एक समुदाय है जो एक साथ चलती है।


आज भी कलीसिया, बप्तिस्मा संस्कार द्वारा ख्रीस्त से संयुक्त रहने तथा विनम्रता एवं साहस के साथ ईश्वर में अपने विश्वास की घोषणा करने और उदारता का साक्ष्य देते हुए विश्व समुदाय के साथ मिलकर चलने हेतु आमंत्रित है। इस ख़ास मतलब के कारण कलीसियाई संस्थाएँ तथा प्रेरितिक संगठन प्रेम में विश्वास का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। प्यार विश्वास का प्रकटीकरण है तथा विश्वास उदारता का परिचय एवं आधार है।

संत पापा ने कहा, ″आज लातेरन महागिरजाघर के समर्पण का त्यौहार हमें निमंत्रण दे रहा है कि हम सभी कलीसियाओं की एकता पर चिंतन करें। कि यह ख्रीस्तीय समुदाय समानता को प्रोत्साहन दे जिससे कि मानव जाति दुश्मनी और उदासीनता के हर घेरे से बाहर आकर, समझदारी, सद्भावना और वार्ता के सेतु का निर्माण करे।″

इस नवीन युग में, कलीसिया अपने आप में सभी लोगों के लिए जीवन, सुसमाचार की घोषणा, आशा का संदेश एवं मन-परिवर्तन का एक चिन्ह एवं पूर्वानुमान है। आइये, हम निष्कलंक माता मरिया की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें कि वे हमें ‘ईश्वर का घर तथा प्रेम के जीवित मंदिर बनने में मदद करें।
इतना कहकर संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् संत पापा ने कहा, ″प्रिये भाइयो एवं बहनो, 25 वर्षों पूर्व, 9 नवम्बर सन् 1989 ई. को लम्बे समय तक शहर को दो भागों में बांटने वाले बर्लिन के दीवार को ढाह दिया गया था जो विश्व से यूरोप के विभाजन एवं उसके अहंकार का प्रतीक था। यह घटना अचानक घटी किन्तु इसे सम्भव करने के पीछे कई लोगों का लम्बा प्रयास रहा है।
उन्होंने इसके लिए संघर्ष किया, प्रार्थना एवं त्याग-तपस्या अर्पित की तथा कई लोगों को जान की आहूति भी देनी पड़ी। हम प्रार्थना करें कि ईश्वर की कृपा तथा सदिच्छा रखने वाले लोगों के सहयोग से मेल-जोल की संस्कृति का विस्तार हो जिससे कि संसार के हर विभाजन की दीवार खत्म हो जाए तथा निर्दोष लोगों पर अत्याचार का अंत हो उनके धर्म एवं विश्वास के कारण उन्हें न मार डाला जाएँ। जहाँ दीवार है वहाँ हृदय बंद है ऐसे स्थलों पर हमें दीवार नहीं सेतु बनाने की आवश्यकता है ।
संत पापा ने कहा कि आज इटली में धन्यवाद का दिन है जिसकी विषय वस्तु है ‘ग्रह का भरण जीवन के लिए ऊर्जा।’

संत पापा ने धर्माध्यक्षों के साथ अपने समर्पण को नवीकृत करते हुए लोगों के लिए प्रार्थना की कि ईश्वर जो भोजन सभी लोगों को प्रदान करते हैं उससे कोई वंचित न रहे। वे गृहस्थी लोगों के करीब हैं तथा सुरक्षात्मक तरीके से खेती करने का प्रोत्साहन देते हैं।

इसी पृष्ट भूमि पर रोम धर्मप्रांत में सृष्टि सुरक्षा दिवस मनाया जाता है जो पर्यावरण के सम्मान पर आधारित जीवन शैली को प्रोत्साहन देता है। जो सृष्टि, मानव तथा सृष्टिकर्ता के बीच संबंध की पुष्टि देता है।

अंत में संत पापा ने देश विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पयर्टकों का अभिवादन किया, उनसे प्रार्थना का आग्रह किया तथा सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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