2014-11-10 14:13:34

ठोकर का कारण न बनें


वाटिकन सिटी, सोमवार 10 नवम्बर 2014 (सेदोक,वीआऱ) संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 10 नवम्बर को वाटिकन स्थित सान्ता मार्ता अतिथि आवास के प्रार्थनालय में प्रवचन देते हुए कहा कि ख्रीस्तीय ठोकर का कारण कदापि न बनें ठीक इसके विपरीत सदा क्षमा करें क्योंकि ठोकर विश्वास को नष्ट करता है।

संत पापा ने कहा कि यह अच्छा होगा कि एक व्यक्ति अपने गले में चक्की डाल कर समुद्र में कूद जाये पर लोगों के लिये ठोकर का कारण न बने।

दैनिक पाठ पर चिन्तन करते हुए संत पापा ने संत लूकस के सुसमाचार के तीन शब्दों पर अपने चिन्तन प्रस्तुत किये। वे तीन शब्द थे पाप, क्षमा और विश्वास।

संत पापा ने बताया कि प्रेरित संत पौल बहुत ही स्पष्ट रूप से बतलाते हैं कि एक पुरोहित को किस तरह से जीवन व्यतीत करना है। एक पुरोहित को चाहिये कि अहिंसक और शालीन हो दूसरे शब्दों में वह निर्दोष हो या हम कहें किसी भी प्रकार के अपमान या अपकीर्ति से अछूता हो।

उन्होंने कहा कि एक ख्रीस्तीय जो गिरजा जाता हो और वह कुछ पर विश्वास नहीं करता है तो यह लोगों के लिये एक ठोकर है। उनका कहना है कि जो गिरजा जाता है उसके जीवन से हमें मालूम हो कि वह ख्रीस्तीय है।

संत पापा ने कहा कि यदि कोई ठोकर का कारण बन जाता है तो हमें चाहिये कि
हम उसे क्षमा दें। उन्होंने लोगों को सावधान करते हुए कहा कि हम सब कमजोर हैं और हममें लोगों को ठोकर देने का झुकाव है।

संत पापा ने इस बात पर भी बल दिया कि यदि कोई व्यक्ति गलत करे तो उसे क्षमा दिया जाना चाहिये क्योंकि हम हे पिता हमारे की प्रार्थना में इसको बारंबार दुहराते हैं। येसु ने हमें क्षमा करना सिखाया है। अगर हम मानवीय बुद्धि और तर्क के अनुसार इस पर विचार करेंगें तो हम दूसरों से बदला लेने की बात आसानी से सोच लेते हैं और इससे घृणा और तनाव बढ़ेगा। क्षमा के अभाव में आज कितने परिवार टूट गये है, कितने बच्चें माता –पिता से अलग हो गये हैं। कितने परिवारों में बिखराव आ गया है।

संत पापा ने लोगों से आग्रह किया कि वे सबकुछ को विश्वास की आँखों से देखें। विश्वास के आलोक में ही दयालु ईश्वर को समझ पायेंगे, पुत्र ईश्वर ने हमारे लिये अपने प्राण अर्पित कर दिया और आत्मा परमेश्वर हमारे साथ सदैव उपस्थित रहता है।

विश्वास एक वरदान है जो किताबों से नहीं मिलता न ही सेमिनारों में मिलता है यह ईश्वर की ओर से दिया जाता है जब उनसे आग्रह करते हैं जैसे की प्रेरितों ने येसु से कहा था, " प्रभु हमारा विश्वास बढ़ाइये।"











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