वाटिकन सिटी, शनिवार, 8 नवम्बर 2014 (वीआर अंग्रेजी)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार
7 नवम्बर को, धर्माध्यक्षों एवं ‘फोकोलारे आंदोलन’ के सदस्यों की 33 वीं सभा के प्रतिभागियों
से मुलाकात की। संत पापा ने उनके एक साथ एकत्र होने की सराहना की तथा ‘सभा’ को हमारे
प्रभु येसु में एक समान विश्वास का ‘उज्ज्वल एवं आकर्षक चिन्ह कहा।’ उन्होंने कहा,
″यदि हम एक ख्रीस्तीय की तरह समस्याओं तथा वर्तमान समय की चुनौतियों का अर्थपूर्ण तरीके
से जवाब देना चाहते हैं तब हमें बोलने की आवश्यकता है, भाई भाई के समान कार्य करने की
ज़रूरत है जिससे कि यह पहचान सकें कि हम ख्रीस्त के शिष्य हैं।″ धर्म के कारण अत्याचार
सहने वालों की सुरक्षा की अपील दोहराते हुए संत पापा ने कहा कि विश्वभर में धार्मिक स्वतंत्रता
की रक्षा हेतु कड़ी सुरक्षा का अभाव है। कई देशों के लोग अपने धर्म का प्रदर्शन खुले
रूप से नहीं कर सकते तथा स्वतंत्र होकर नहीं जी सकते हैं। संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीयों
तथा अल्पसंख्यकों के प्रति अत्याचार आतंकवाद की एक दुखद घटना है। युद्ध कथा अन्य कारणों
से शिविरों में रह रहे शरणार्थियों की कष्टमय स्थित तथा चरमपंथियों की चुनौतियाँ आदि
समस्याएँ, ख्रीस्तीयों एवं धर्मगुरूओं के लिए सचमुच बड़ी चुनौती बन गयी है। संत पापा
ने कहा कि ये सभी चुनौतियाँ हमारे समर्पण, दृढ़ता और धैर्य को नवीकृत करने की प्रेरणा
देती है तथा हमें एकता के सूत्र में बांधती है। जिससे के संसार विश्स करे और हम साहस
एव दृढ़ता में अधिक मजबूत हो सकें। विदित हो कि सभा रोम में 3 नवम्बर से चल रही
थी जो संत पापा से मुलाकात द्वारा समाप्त हुई। चार दिनों की इस सभा में ख्रीस्तीयों एवं
गैरख्रीस्तीयों प्रतिनिधियों ने 40 की संखअया में भाग लिया। सभा की विषय वस्तु थी,
″ख्रीस्तयाग, एकता का सहस्य।″