2014-11-07 14:11:55

सहानुभूतिपूर्ण सेवा द्वारा आनन्द, सद्भाव और शांति संभव


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 7 नवम्बर, 2014 (सेदोक,वीआर) अऩ्तर धार्मिक वार्ता के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति ने सिक्खों को गुरुनानक जयन्ती की शुभकामनायें देते हुए अपना संदेश भेजा है।
समिति की ओर से भेजे गये संदेश की विषयवस्तु है " सहानुभूतिपूर्ण सेवा के लिये एकजुटता।" अपने संदेश में सिक्ख भाई-बहनों को बधाइयाँ देते हुए संदेश में कहा गया है कि यह पावन त्योहार परिवारों और समुदायों के बीच आनन्द, सद्भाव और शांति को सुदृढ़ करे।
अन्तरधार्मिक वार्ता के लिये बनी समिति ने अपने संदेश में लिखा है कि ख्रीस्तीय और सिक्ख मिलकर समाज के लिये सहानुभूतिपूर्ण सेवा की भावना का विस्तार में अपना योगदान दे सकते हैं।
ईसाइयों के लिये सहानुभूतिपूर्ण सेवा का सबसे उत्तम उदाहरण हैं –प्र भु येसु जिसे हम भले समारी के दृष्टांत में पाते हैं।
समिति ने लिखा कि सिक्ख धर्म में में दया और सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी है। यह एक ऐसी सेवा भावना है जो निःस्वार्थ हो और जो जन कल्याणकारी हो।
भाई गुरदास ने अपनी गुरबानी में लिखा हैस " ऐसी सेवा जो सेवा को नष्ट करती हैं अच्छी नहीं है । इसके साथ एसे क्रिया-कलाप जिसमें कोई सेवा न हो तो इससे कोई फल प्राप्त नहीं हो सकता।
सहानुभूतिपूर्वक किसी की मदद करने का अर्थ है - गरीबों, ज़रूरतमंदों, बीमारों, वृद्धों, अन्य तरीके से सक्षमों, आप्रावासियो, शरणार्थियों, पीड़ितों तथा शोषितों की मदद करना।
लोगों की मदद करना क्योंकि उन्हें भी ईश्वर ने बनाया है और हमें भाई –बहन रूप में दिया है। ऐसी मदद करने, देने और पानेवाले को सुख शांति और संतुष्टि का अनुभव प्राप्त होता है।
उन्होंने लिखा कि सांसारिक, उपभोक्तावादी और व्यक्तिवादी प्रवृत्तियों के प्रलोभनों के कारण दुनिया स्वकेन्द्रित, असंवेदनशील और उदासीन है। संत पापा फ्राँसिस चाहते है कि दुनिया मेँ एक ऐसी संस्कृति का प्रचार हो जिसमें कोई भी व्यक्ति परित्यक्त महसूस न करे।
संदेश में यह आशा व्यक्त की गयी है कि सहानुभूतिपूर्ण सेवा के द्वारा दोनों समुदाय आनेवाले दिनों में आनन्द, सद्भाव और शांति के प्रचारक बन सकेंगे।










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