2014-11-07 14:11:07

धर्मसमाजी जीवन का साक्ष्य कलीसिया को आकर्षक बनाता


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 7 नवम्बर, 2014 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन सिटी में शुक्रवार 7 नवम्बर को इतालवी धर्मसमाजी सुपीरियरों की सभा के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म समाजियों का जीवन दुनिया के लोगों को कलीसिया की ओर देखने के लिये आकर्षित करता है और इस तरह से कलीसिया विकसित होती है।
संत पापा ने कहा कि बुधवार के सुसमाचार में सुसमाचार लेखक लूकस ने हमें बतलाया कि जो व्यक्ति पूर्ण रूप से अपना त्याग नहीं करता वह येसु का शिष्य नहीं हो सकता है। ख्रीस्तीय जीवन का साक्ष्य कई तरह से दिया जा सकता है पर धर्मसमाजी इस लिये बुलाये जाते हैं ताकि वे साहसपूर्ण साक्ष्य दे सकें।
उन्होंने कहा कि सच्चा साक्ष्य विचारधारा या फैशन का नहीं है पर यह एक चिह्न है जिसे सुसमाचार में विरोधाभासों का चिह्न कहा गया है। येसु भी विरोधाभाषों के उदाहरण थे। समकालीन धार्मिक अधिकारियों जैसे फरीसियों तथा सदुकियों आदि के विरोधी ।
संत पापा ने कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि इतालवी धर्म समाजियों के अध्यक्ष ने बताया कि ' एवान्जेली गौदियुम ' उनके लिये पथप्रदर्शक है। अपनी बातों को स्पष्ट करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि वे नहीं चाहते कि पिछली पँक्ति से लड़ाई लड़ें या बस अपनी सुरक्षा के लिये कार्य करें पर वे चाहते हैं कि अपना जीवन आम लोगों के साथ बितायें और इस बात पर दृढ़ विश्वास करें कि ईश्वर का राज्य का बीज प्रस्फुटित होता और लगातार बढ़ता जाता है।
संत पापा ने कहा कि ऐसा करना सदैव आसान नहीं होता। इसके लिये ज़रूरत है दिल को बदलने की जो प्रार्थना और आराधना के द्वारा ही संभव हो सकता है। इन सब बातों को उन लोगों को बताया जाना चाहिये जो हमसे दूर हैं या कट-सा गये हैं।
संत पापा ने इस बात पर भी बल दिया कि हमारे धर्मसमाज की जो विशिष्टतायें या विशेष गुण हैं उनका विकेन्द्रीकरण होना चाहिये क्योंकि इसके केन्द्र में सिर्फ़ येसु मसीह हैं। विशिष्ट गुणों को बोतल में बंद करके रखने का कोई औचित्य नहीं। इसे मिशनरियों के कार्यों से प्रेरित होकर आज की परिस्थिति तथा संस्कृति के अनुसार साहसपूर्वक बाँटा जाना चाहिये।
संत पापा ने कहा कि धर्मसमाजी जीवन भ्रातृत्व का जीवन है। यह व्यक्तिवादी संस्कृति व्यक्तिगत और केन्द्रित अधिकारों के विपरीत है। यह परिवार और समाज का विनाश कर सकता है।
धर्मसमाजी जीवन का दायित्व है कि वह भ्रातृप्रेम के लिये कार्य करे ताकि लोग विभिन्नताओं में भी भाई-बहनों के समान जीवन जी सकें। कई बार ऐसा करना आसान नहीं है क्योंकि हम गलतियाँ करते हैं। पर हम क्षमा दें और क्षमा पायें यही समाज और कलीसिया के लिये हितकर होगा।
आज हम येसु के साथ नवीनीकरण करें और अपना रिश्ता पिता ईश्वर और माता कलीसिया से मजबूत करें तब भ्रातृत्व मजबूत होगा जो दुनिया को आकर्षित करेगा।








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