2014-11-05 14:57:01

यूरोप में धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में अमेरिका दबाव में


वाटिकन सिटी, बुधवार 5 नवम्बर, 2014 (सीएनए) 'पोन्टिफिकल फाउन्डेशन एइड टू द चर्च इन नीड ' द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार यूरोप में धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में हैं और अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता को लगातार दबाया जा रहा है।

विश्व धार्मिक स्वतंत्रता की 12वें संस्करण की रिपोर्ट में इसकी जानकारी देते हुए परमधर्मपीठीय मदद संस्थान ने 4 नम्बर को कहा कि 196 देशों के बारे में सन् 2012 से लेकर सन् 2014 तक विभिन्न धार्मिक मुद्दों पर सर्वे किये।

संस्थान के अनुसार जिन मुद्दों पर रिपोर्ट प्राप्त किये गये उनमें धर्मपरिवर्तन की स्वतंत्रता, प्रार्थनालयों के निर्माण, मिशनरी क्रियाकलाप और बच्चों को उनके माता-पिता के धर्मों के अनुसार धर्मशिक्षा ग्रहण की स्वतंत्रता पर आँकड़े जमा किये गये।

रिपोर्ट का प्रारुप तैयार करनेवाली समिति के अध्यक्ष पीटर सेफटन विलियम्स ने बताया कि प्राप्त आँकड़ों के आधारपर विश्व के 55 देशों में अर्थात विश्व के 28 फीसदी देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बदतर हुई है।

196 देशों की रिपोर्टों में सिर्फ़ 6 राष्ट्रों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति सुधरी है। फिर भी उन 6 राष्ट्रों में भी धार्मिक उत्पीड़न की घटनाओं में वृद्धि पाये गये हैं।

रिपोर्ट के अनुसार 196 देशों में 81 देश अर्थात 41 फीसदी में धार्मिक स्वतंत्रता के खतरे बढ़े हैं। इन 81 देशों में 20 देशों में धार्मिक स्वतंत्रता के खतरे अत्यधिक ज़्यादा हैं। और इन 20 देशों में से 14 में धार्मिक सतावट बढ़े हैX जिसका कारण है - इस्लामिक अतिवाद ।

समिति के अध्यक्ष विलियम्स ने इस बात की भी जानकारी दी कि उन 196 देशों में से 80 देश (40 फीसदी) ऐसे हैं जहाँ जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता के कोई खतरे रिपोर्ट नहीं किये गये।

जिन देशों में धार्मिक स्वतंत्रता का जमकर हनन हुआ है वे देश हैं, इराक, लीबिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सीरिया और सूडान।
उधर जिन देशों में धार्मिक स्वतंत्रता के खतरों में वृद्धि हुई है वे है इंगलैंड, जर्मनी, फ्राँस, नीदरलैंड और फ्राँस।
समिति के एक सदस्य ने कहा कि एक समय था जब यूरोप को मानवाधिकारों की जननी माना जाता था पर अब यूरोप में मानवाधिकारों को चुनौतियाँ मिल रहीं हैं।












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