2014-11-01 15:50:55

पवित्र आत्मा द्वारा प्रदत्त एकता की खोज करें


वाटिकन सिटी, शनिवार, 1 नवम्बर 2014 (न्यूज़ वा)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 31 अक्टूबर को पौल षष्टम सभागार में ‘काथलिक फ्रटेरनिटी ऑफ करिस्मटिक कॉवेनन्ट कम्यूनिटीस एंड फेलोशिप’ के सदस्यों से मुलाकात की।

‘काथलिक फ्रटेरनिटी ऑफ करिस्मटिक कवेनन्ट कम्यूनिटीस एंड फेलोशिप’ का दल रोम में आयोजित 60 वीं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग ले रहा है। जिसकी विषयवस्तु है, ″ नवीन सुसमाचार प्रचार हेतु प्रशंसा एवं करिश्माई कार्यशाला।″

संत पापा ने ‘विविधता में एकता’ तथा ‘एकता एकरूपता को खत्म नहीं करती’, जैसे प्रमुख विचार पर वक्तव्य केंद्रित करते हुए कहा, ″एकता का मतलब सब कुछ एक साथ करना या एक ही तरह सोचना नहीं है और न ही अपनी पहचान खो देना है। विविधता में एकता इसके बुलकुल विपरीत है। इसका अर्थ है एक दूसरे में पवित्र आत्मा प्रदत वरदानों को आनंदपूर्ण मान्यता देना एवं उसे सहृदय स्वीकार करना तथा इसके द्वारा कलीसिया को सेवा अर्पित करना।″

संत पापा ने कहा कि प्रत्येक ख्रीस्तीय को उदार बनने की आवश्यकता है ताकि वह पवित्र आत्मा की पावनकारी कृपा को प्राप्त कर सके।
संत पापा ने पवित्र आत्मा की तुलना स्वास से करते हुए कहा,″ साँस लेने की प्रक्रिया में दो चरण होते हैः वायु अंदर खींचना तथा वायु बाहर छोड़ना।″

संत पापा ने कहा ठीक उसी प्रकार आध्यात्मिक जीवन पोषित होता है यह प्रार्थना तथा प्रेरिताई द्वारा पोषित होता है। जब हम प्रार्थना करते हैं तो शुद्ध हवा के रूप में पवित्र आत्मा को अपने अंदर प्रवेश करने देते हैं जबकि वायु बाहर करने के रूप में पुनर्जीवित ख्रीस्त का प्रचार करते हैं। यह सर्व विदित है कि कोई भी व्यक्ति सांस के बिना जीवित नहीं रह सकता, उसी प्रकार प्रशंसा एवं प्रेरिताई के बिना ख्रीस्तीय नहीं रह सकते।″

संत पापा ने याद दिलाया कि करिश्माई नवीनीकरण स्वाभाविक रूप से ख्रीस्त एकता वर्धक है। ख्रीस्तीय एकता की आध्यात्मिकता है एक साथ प्रार्थना करना तथा एक साथ मिलकर यह घोषित करना कि येसु ही प्रभु हैं तथा एक साथ मिलकर ग़रीबों की मदद करना।








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