श्रोताओं के पत्र पत्र- आदरणीय साहब, मैं आपके वाटिकन भारती पत्रिका को प्राप्त करने
की तीव्र अभिलाषा रखता हूँ। कृपया ईमानदारी से मेरे लिए वाटिकन भारती पत्रिका भेज दें।
प्रदीप कुमार लुगुन, लुकुमबेड़ा, सुन्दरगढ़, उड़ीसा।
पत्र- 28 सितम्बर को
शाम 8 बजे युवा कार्यक्रम ‘नई दिशाएँ’ के तहत फादर जस्टिन तिरकी जी ने शिक्षिका सिस्टर
निलीमा केरकेट्टा जी से शिक्षा के महत्व के विषय पर भेंटवार्ता किया। काफी पसंद आया,
इसके लिए आप सभी को धन्यवाद। ‘क्योंकि शिक्षा हमें ज्ञान देता है। शिक्षा हर समस्या का
समाधान है शिक्षा से ज्ञान प्राप्त होता है यह हमें गरीबी से ऊपर उठने और विकास के पथ
पर अग्रसर होने में मदद करती है। धर्मग्रंथ में ज्ञान को प्रज्ञा के रूप में देखा जाता
है। समाज में सम्मान की प्राप्ति भी होती है और साथ ही साथ ‘तेरा वंदना’ शीर्षक से भक्तिगीत
सुना। अंत में चेतना जागरण के तहत माईकेल होजेस द्वारा प्रस्तुत नाटक ‘पाप की औलाद’
सुना, इसके लिए भी धन्यवाद। ‘क्योंकि इस धरती पर जन्म लेने वाला हर बच्चा निर्दोष होता
है। अनाथ आश्रम में पलने वाले बच्चे भी किसी न किसी के संतान हैं क्योंकि उन्होंने
भी मानव जाति में जन्म लिया है।’ आज कल आप के प्रसारण साफ सुनाई पड़ रहा है। कृपाकर वाटिकन
भारती पत्रिका अवश्य भेज दें। रजनीश कुमार, परसा पात्ती, मध्यमाथ, मुजफ्फरपुर, बिहार।
पत्र-
25.9.14 बुझी समाँ भी जल सकती है, तुफान से कस्ती भी निकल सकती है, हो के मयूस नूर
अपने इरादे न बदलना क्योंकि तेरी किस्मत कभी भी बदल सकती है। ईश्वर आप को आशीष दे। डॉ.
हेमान्त कुमार, प्रियदर्शनी रेडियो लिसर्न्स क्लब के अध्यक्ष, गोराडीह भागलपुर बिहार।
पत्र- 15.9.14 आदरणीय बहन सिस्टर उषा जी आप सभी को प्रभु येसु के नाम में
नमस्कार। आज नयी दिशाएँ कार्यक्रम में श्रीमती सिसिलया जी के साथ आपकी बातचीत काफी अच्छी
रही मेरी ओर से बहन जी को हार्दिक बधाई। विद्यानन्द रामदयाल, पियर्स मोरिशस।