सिनॉद ज़रूरतमंदों तक पहुँचने का एक प्रयास, सिद्धांतों को बदलने का नहीं
वेस्टमिन्स्टर, इंगलैंड, सोमवार 27 अक्तूबर, 2014 (सीएनए) इंगलैंड के वेस्टमिन्सटर के
महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल विन्सेंट निकोलस ने स्पष्ट किया है कि वाटिकन सिटी में 5 से
19 अक्तूबर तक परिवार विषय पर आयोजित धर्माध्यक्षों की विशेष महासभा में सभा ने परिवार
संबंधी समस्याओं से जूझ रहे ज़रूरतमंदों तक पहुँचने का प्रयास किया न कि सिद्धांतों को
बदलने का।
सिनॉद से लौटने के बाद पत्रकारों से बातें करते हुए कार्डिनल निकोलस
ने कहा, " आप सबों ने सुना होगा कि सिनॉद ने विवाह परिवार और यौन संबंधी नैतिकता के सिद्धांतों
को बदलने का प्रयास किया, यह सत्य नहीं है। "
उन्होंने कहा, " सिनॉद का प्रयास
था कलीसिया के सदस्यों को मातृस्नेह देना विशेष करके ऐसे लोगों को पारिवारिक जीवन की
चुनौतियाँ का सामना कर रहे हैं। " कार्डिनल ने 24 अक्तूबर को प्रकाशित प्रेरितिक
पत्र का हवाला देते हुए कहा कि परिवार विषय पर धर्माध्यक्षों की महासभा में हिस्सा लेना
"दिल छूनेवाला और समृद्ध " अनुभव था। उन्होंने बिल्कुल ही साफ तरीके से कहा कि सभा
में कोई ऐसी बात नहीं हुई जिसमें इस बात का प्रस्ताव था कि काथलिक कलीसिया की शिक्षा
को बदला जाये न ही समलिंगी विवाह को स्वीकृति मिले या यौन संबंधी नैतिकता में बदलाव लाया
जाये। उन्होंने कहा कि सिनॉद ने इस बात पर अवश्य बल दिया कि मानव की पहचान यौन अभिमुखता
के आधार पर न की जाये पर इस आधार पर उसका सम्मान किया जाये कि वह मानव प्राणी है ख्रीस्तीय
है और उसकी एक अद्वितीय मर्यादा है। कार्डिनल निकोलस ने इस बात का भी खंडन किया कि
इस सिनॉद में " संत पापा की हार हुई है या वे सिनॉद के परिणाम से निराश हुए हैं।" उन्होंने
कहा कि संत पापा ने विशेष महासभा के बाद सिनॉद के बारे में अपनी खुशी और संतुष्टि व्यक्त
की है। उन्होंने कई बार कहा कि सिनॉद का अर्थ है - एक साथ चलना या एक साथ यात्रा करना। कार्डिनल
ने कहा कि सिनॉद के प्रतिनिधियों ने ठीक ऐसा ही किया है। उन्होंने युद्ध, पलायन, बहुविवाह,
अन्तरधार्मिक विवाह सहजीवन यापन तथा तलाक जैसे विषयों को पर चिन्तन करते हुए एक साथ कदम
उठाया है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि अनवरत प्रार्थना एवं चिन्तन से कलीसिया को
सकारात्मक लाभ मिलेगा और संत पापा के नेतृत्व में कलीसिया का नवीनीकरण संभव हो पायेगा।