वाटिकन सिटी, सोमवार, 27 अक्तूबर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में रविवार 26 अक्तूबर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत
प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना का पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित
कर कहा, ″अति प्रिये भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात, आज का सुसमाचार पाठ हमें
याद दिलाता है कि ईश्वर की समस्त संहिता ईश्वर के प्रति प्रेम एवं पड़ोसी के प्रति प्रेम
में समाहित है। सुसमाचार लेखक संत मती हमें बतलाते हैं कि ″फ़रीसियों ने येसु की परीक्षा
लेने का निश्चय किया और उन में से एक शास्त्री ने ईसा की परीक्षा लेने के लिए उन से पूछा,
″गुरुवर! संहिता में सब से बड़ी आज्ञा कौन-सी है?' (मती.22꞉35-36) विधिविवरण ग्रंथ
का हवाला देते हुए, ″ईसा ने उस से कहा, ''अपने प्रभु-ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी
आत्मा और अपनी सारी बुद्धि से प्यार करो। यह सब से बड़ी और पहली आज्ञा है। ″ (पद.37-38)
संत पापा ने कहा कि बात यहीं तक सीमित हो सकती थी किन्तु येसु इसके आगे कुछ और
जोड़ देते हैं जिसके बारे में शास्त्री ने नहीं पूछा था। येसु ने कहा, ″दूसरी आज्ञा इसी
के सदृश है- अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो।″ (पद.39) इस दूसरी आज्ञा की खोज येसु
ने नहीं की किन्तु लेवी के ग्रंथ को उद्धृत किया। येसु की बात में नवीनता इसी में है
कि उन्होंने दोनों आज्ञाओं को एक साथ प्रस्तुत किया, ईश्वर के प्रति प्रेम एवं पड़ोसियों
के प्रति प्रेम। ये दोनों आज्ञा आपस में अलग नहीं हैं किन्तु एक सिक्का के दो पहलूओं
के समान एक-दूसरे के पूरक हैं।
संत पापा ने कहा, ″पड़ोसियों से प्रेम किये बिना
हम ईश्वर को प्यार नहीं कर सकते और न ही ईश्वर को प्यार किये बिना पड़ोसी को प्यार कर
सकते हैं।″ संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने अपने प्रथम प्रेरितिक पत्र ‘देयूस करीतास
एस्त’ में इसकी सुन्दर व्याख्या प्रस्तुत की है।
वास्तव में, यह एक प्रत्यक्ष
चिन्ह है जिसके द्वारा ख्रीस्तीय धर्मानुयायी विश्व एवं अन्य सभी लोगों को साक्ष्य दे
सकते हैं कि उनके परिवारों में भाई-बहनों के प्रति प्रेम ही ईश प्रेम है। ईश्वर एवं
पड़ोसी के प्रति प्रेम की आज्ञा प्रथम आज्ञा इसलिए नहीं है कि यह सूची में सबसे ऊपर अंकित
है। येसु इसे सबसे ऊपर अंकित नहीं करते किन्तु केंद्र में रखते हैं। यह हृदय के समान
है जहाँ से सब कुछ की शुरूआत होनी चाहिए तथा उनका अवलोकन किया जाना चाहिए।
संत
पापा ने कहा, प्रचीन व्यवस्थान में, ‘पवित्र बनने की आवश्यकता’ ईश्वर के पवित्र होने
की छवि को दर्शाता है। ईश्वर आज्ञा देते हैं, तुम परदेशी के साथ अन्याय मत करो, उस पर
अत्याचार मत करो, क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे। तुम विधवा अथवा अनाथ के साथ
दुर्व्यवहार मत करो। यदि तुम उनके साथ दुर्व्यवहार करोगे और वे मेरी दुहाई देंगे, तो
मैं उनकी पुकार सुनूँगा और मेरा क्रोध भड़क उठेगा। मैं तुम को तलवार के घाट उतरवा दूँगा
और तुम्हारी पत्नियाँ विधवा और बच्चे अनाथ हो जायेंगे। ''यदि तुम अपने बीच रहने वाले
किसी दरिद्र देश-भाई को रुपया उधार देते हो, तो सूदखोर मत बनो - तुम उस से ब्याज मत लो।
यदि तुम रहने के तौर पर किसी की चादर लेते हो, तो सूर्यास्त से पहले उसे लौटा दो; क्योंकि
ओढ़ने के लिए उसके पास और कुछ नहीं है। वह उसी से अपना शरीर ढक कर सोता है। यदि वह मेरी
दुहाई देगा, तो मैं उसकी सुनूँगा, क्योंकि मैं दयालु हूँ।″ (निर्ग.22꞉20-26) येसु
पुराने व्यवस्थान की आज्ञा को पूरा करते हैं। वे खुद अपने शरीर, अपने ईश्वरत्व तथा मनुष्यत्व
को प्यार के रहस्य में एक कर लेते हैं। येसु ख्रीस्त के वचनों के प्रकाश में हम सह सकते
हैं कि प्यार विश्वास की माप है और विश्वास प्रेम की आत्मा है। भाई-बहन जिनसे हम साक्षात्
रूप में मिलते-जुलते हैं उनकी सेवा को धार्मिक जीवन से अलग नहीं किया जा सकता। हम याद
रखें कि प्यार विश्वास की माप है। संत पापा ने लोगों से प्रश्न किया ″आप मुझे कितना प्यार
करते हैं?″ क्या आप प्रत्येक जवाब दे सकते हैं कि आपका विश्वास कैसा है? उन्होंने स्वयं
उत्तर देते हुए कहा। मेरा विश्वास उतना ही है जितना में दूसरों को प्यार करता हूँ। नियम
एवं कानून के सघन जंगल के बीच, बीते कल और आज की विधिपरायणता में येसु एक सुराग बना देते
हैं जिसमें दो चेहरों को साफ देखा जा सकता है। पिता का चेहरा एवं भाइयों का चेहरा। उन
दो चेहरों में निश्चय ही, एक पिता ईश्वर का चेहरा है और दूसरा उन लोगों का है जिसमें
पिता का चेहरा प्रतिबिम्बित होता है। संत पापा ने कहा कि वे चेहरे ऐसे लोगों के चेहरे
हैं जो समाज में छोटे, तुच्छ, निःसहाय और जरूरतमंद व्यक्ति हैं। वे ईश्वर के प्रतिरूप
हैं। जब हम ऐसे लोगों से मुलाकात करते हैं तो क्या हम उनमें पिता को देख सकते हैं?
संत
पापा ने कहा कि इस प्रकार येसु लोगों को जीने के लिए मापदंड प्रदान करते हैं किन्तु उन
सबसे बढ़कर उन्होंने हमें पवित्र आत्मा प्रदान किया है जो हमें ईश्वर तथा पड़ोसी को प्यार
करने का बल प्रदान करता है जिसको उन्होंने खुद उदार हृदय से पूरा किया। मरियम हमारी माता
की मध्यस्थता द्वारा प्रेम की कृपा को ग्रहण करने हेतु हम खुले रहें तथा दो चेहरों के
नियम अर्थात प्रेम के नियम पर सदा चलने का प्रयास करें।
इतना कहकर संत पापा ने
देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। देवदूत प्रार्थना
समाप्त करने के पश्चात् संत पापा ने जानकारी देते हुए कहा, ″कल ब्राजील के साओ पावलो
में माता अस्सूनता मरेत्ती की धन्य घोषणा हुई जिनका जन्म इटली में हुआ था। वे संत चार्ल्स
बोरोमियो स्कालाब्रिनी की मिशनरी धर्मबहनों के धर्मसमाज की सह-संस्थापिका हैं। उन्होंने
एक धर्मबहन के रूप में इटली के विस्थापित एवं अनाथ बच्चों की सेवा की है। उन्होंने गरीबों,
अनाथों, बीमारों तथा विस्थापितों में येसु की उपस्थिति को पहचाना है। मैं इस धर्मबहन
के लिए ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने उदार सेवा के प्रति समर्पण में एक उत्साही
एवं साहसी मिशनरी का उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह एक अपील है तथा एक पुष्टि जिस पर हमने
चिंतन किया है पड़ोसियों के प्रति प्रेम में ईश्वर का चेहरा देख पाना।
अंत में,
संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्याटकों का अभिवादन किया तथा
सभी को शुभ रविवार की मंगल कामना अर्पित की।