पहली शताब्दी के सन्त यूदस अथवा सन्त जूड थदेउस
प्रभु येसु ख्रीस्त के 12 शिष्यों में से एक थे। वे छोटे सन्त याकूब के भाई थे तथा येसु
के रिश्तोदार भी थे। हालांकि, यह स्मरण रखा जाना चाहिये कि सन्त जूड, जूडस इसकारियती
नहीं हैं। जूडस इसकारियोती येसु का वह शिष्य था जिसने उनके साथ विश्वासघात कर उन्हें
गिरफ्ता3र करवाया था।
प्राचीन लेखकों के अनुसार जूड ने यहूदिया, समारिया,
इदुमेया, सिरिया, मेसोपोटामिया तथा लिबिया में प्रभु येसु ख्रीस्त के सुसमाचार का प्रचार
किया था। इतिहासकार यूसेबियुस के अनुसार सन् 62 ई. में जूड पुनः जैरूसालेम लौट आये थे
तथा यहाँ उन्होंने अपने भाई तथा जैरूसालेम के धर्माध्यक्ष, सन्त सिमियोन के धर्माध्यक्षीय
अभिषेक में भाग लिया था।
इतिहासकारों के अनुसार प्रेरितवर सन्त जूड ने पूर्व
की कलीसियाओं के नाम एक पत्र लिखा था। यह पत्र, विशेष रूप से, यहूदी धर्म से ख्रीस्तीय
में आये विश्वासियों को सम्बोधित था। इस पत्र में जूड ने सिमोनवादियों, निकोलायवादियो
एवं गूढ़ज्ञानवादियों को भी फटकार बताई है जो मिथ्या उपदेशों से लोगों को भटका रहे थे
तथा अपने स्वार्थ के लिये ख्रीस्तीय विश्वास को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत कर रहे थे। जूड
अथवा यूदस के पत्र के तीसरे और चौथे पदों में हम पढ़ते हैं: "प्रिय भाइयो! हम जिस मुक्ति
के सहभागी हैं, मैं उसके विषय में आप लोगों को लिखना चाहता था, किन्तु अब मुझे आवश्यक
प्रतीत हुआ कि इस पत्र द्वारा आप लोगों से यह अनुरोध करूँ कि आप उस विश्वास की रक्षा
के लिए संघर्ष करें, जो सदा के लिए सन्तों को सौंपा गया; क्योंकि कुछ व्यक्ति आप लोगों
के बीच चुपके से घुस आये हैं। इन विधर्मी लोगों की दण्डाज्ञा प्राचीन काल से धर्मग्रन्थ
में लिखी हुई है। ये हमारे ईश्वर की कृपा को विलासिता का बहाना बनाते और हमारे एकमात्र
स्वामी एवं प्रभु ईसा मसीह को अस्वीकार करते हैं" (सन्त यूदस का पत्र 1:03-04)।
ख्रीस्त के अनुयायियों को उनके विश्वास में सुदृढ़ कर जूड या यूदस पत्र का समापन
इस प्रकार करते हैं: "प्रिय भाइयो! आप अपने परमपावन विश्वास की नींव पर अपने जीवन का
निर्माण करें। पवित्र आत्मा से प्रार्थना करते रहें। ईश्वर के प्रेम में सुदृढ़ बने रहें
और उस दिन की प्रतीक्षा करें, जब हमारे प्रभु ईसा मसीह की दया आप को अनन्त जीवन प्रदान
करेगी" (सन्त यूदस का पत्र 1:20-21)।
बताया जाता है कि उस युग में, फारस
के अधीन, आरमेनिया में सन्त जूड को उनके ख्रीस्तीय विश्वास के ख़ातिर मार डाला गया था।
बाद में तीसरी शताब्दी में आरमेनिया ने ख्रीस्तीय धर्म को स्वीकार किया।
जूड
ही येसु के वे शिष्य हैं जिन्होंने अन्तिम भोजन कक्ष में प्रभु येसु ख्रीस्त से प्रश्न
किया था कि क्यों पुनःरुत्थान के बाद वे स्वतः को विश्व के समक्ष प्रकट नहीं करेंगे।
इसके अतिरिक्त, सन्त जूड के व्यक्तिगत जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी हासिल है। किंवदन्ती
है कि उन्होंने लेबनान के बैरूत एवं एडेसा की प्रेरितिक यात्राएँ की थी तथा सम्भवतः सन्त
सिमियोन के साथ फारस यानि परशिया में शहादत प्राप्त की थी।
हताश होने के
समय तथा कठिन निराशा की घड़ियों में सन्त जूड को पुकारा जाता है इसलिये कि नवीन व्यवस्थान
में निहित उनका पत्र इस बात पर बल देता है कि विश्वासियों को कठिन एवं कठोर परिस्थितियों
का सामना करना चाहिये जैसा कि उनके पूर्वजों ने किया था। इसीलिये, सन्त जूड को निराशाजनक
स्थितियों का संरक्षक सन्त माना जाता है। सन्त जूड का पर्व 28 अक्टूबर को मनाया जाता
है। विश्व के कई देशों में सन्त जूड को समर्पित तीर्थस्थल हैं। इन्हीं में भारत के झाँसी
शहर स्थित सेंट जूड श्राईन भी है। सन्त जूड का पर्व 28 अक्टूबर को मनाया जाता है।
चिन्तनः
घोर निराशा की घड़ियों में हम प्रभु की सान्तवना का अनुभव प्राप्त करें, सन्त जूड हमारे
लिये प्रार्थना करें।
संत जूड के आदर में नौरोजी-प्रार्थना पिता और पुत्र
और पवित्र आत्मा के नाम पर। आमेन। हे प्रभु येसु! जब तू इस संसार में था तो तूने आह
भरते और आँसु बहाते हुए अपने पिता से विनयपूर्वक प्रार्थना की थी। आज तू इस नौरोजी विनती
को स्वीकार कर जिसमें इस तीर्थ स्थान के उपकारियों तथा उन सब भक्तों की अभिलाषाओं के
लिये मैं प्रार्थना करता हूँ जिन्होंने अपनी अर्जिया यहाँ भेजी है। मैं अपने स्वयं आध्यात्मिक
और भौतिक उद्देश्यों के लिए भी प्रार्थना करता हूँ। (अपने निवेदन व्यक्त करें) मैं
अपने इस निवेदन को तेरे निवेदन से मिलाना चाहता हूँ। मैं माता मरियम के द्वारा, तो तेरी
और मेरी भी माँ है, अपनी इस विनती को तेरे सामने रखता हूँ, क्योंकि वह ख्रीस्तीयों की
सहायता हैं। मैं संत जूड थेदेयुस के द्वारा भी, जो तेरा कुटुंबी है और कठिन परिस्थितियों
में सहायता करता है अपनी प्रार्थना प्रस्तुत करता हूँ। उनकी खातिर मेरी प्रार्थना स्वीकार
कर तथा उन सब आत्माओं के लिये जिनके वास्ते तूने अपने प्राण दिये हैं, इसे सफल बना। आमेन।
हे
प्रतापी प्रेरित संत जूड थेदेयुस महान कठिनाईयों में पड़े हुए लोगों के सहायक, तू ईश्वर
द्वारा सच्चे धर्म का प्रमाण देने के लिये चुना गया। तूने ख्रीस्तीय विश्वास के लिये
सब प्रकार के अत्याचार सहे, और अतं में अपने प्राण दे दिये किन्तु अपने विश्वास को नहीं
त्यागा। तू हमें भी ऐसा दृढ़ विश्वास दिला दे कि हर समय और हर परिस्थिति में हम इसे आनन्द
के साथ स्वीकार कर सकें तथा त्यागने की अपेक्षा मरने के लिए तैयार रहें। प्रिय संत! प्रायश्चित
द्वारा हमारे विद्रोही शरीर का दमन करने के लिये तू हमें प्रोत्साहित कर ताकि संसार तथा
आप के लिये मर कर हम केवल ईश्वर में ही रह सकें और सदा पुण्य-फल प्राप्त कर सकें।
हे
पिता हमारे. . . प्रणाम मरिया. . . पिता और पुत्र . . .
हे प्रतापी संत जूड थेदेयुस!
हमारे उद्धारकर्ता के कुटुंबी, अपना धर्म, विश्वास तथा ईश्वर के प्रति विश्वासघात करने
की अपेक्षा, तूने प्रशंसनीय साहस से तुरन्त ही अपना जीवन बलिदान कर दिया। तू हमें यह
वरदान दिला दे कि हम ईश्वर के नियम तथा अपने अन्तःकरण की पुकार को न मानने की अपेक्षा,
किसी भी प्रकार के दुःख सहने के लिए सदा तैयार रहें। हमें इस तरह जीवन बिताने में सहायता
दे कि हम संतों के साथ ईश्वर के राज्य की महिमा प्राप्त कर सकें।
हे पिता हमारे.
. . प्रणाम मरिया. . . पिता और पुत्र . . .
हे प्रतापी संत जूड थेदेयुस, तेरी
एक मात्र इच्छा थी, कि तू अपने सब कार्यो से ईश्वर को प्रसन्न करें। हमें भी यह कृपा
दिला दे कि हम, ईश्वर की आज्ञा का पालन करने में, अपनी मुक्ति के लिए प्रयत्न करने में
और अपने धर्म के लिए हर प्रकार के कष्ट धैर्य से सहने में तेरा जैसा उत्साह रखें। हम
इसी विश्वास में अपना सारा जीवन व्यतीत करें और दुःख रूपी अग्नि से पवित्र होकर, ईश्वर
के राज्य में सदा के लिए कीर्ति के मुकुट के योग्य बन जायें। आमेन।
हे पिता हमारे.
. . प्रणाम मरिया. . . पिता और पुत्र . . . हे महिमामय संत जूड हमारे लिए प्रार्थना
कर कि हम ख्रीस्त की प्रतिज्ञाओं के योग्य बन जायें। हम प्रार्थना करें- हे
ईश्वर तूने अपने प्रिय प्रेरित संत जूड के द्वारा हमें अपने नाम का ज्ञान दिलाया है,
हमें यह वरदान दे कि हम दिन-प्रतिदिन सदाचार में उन्नति करते हुए तेरे इस प्रेरित का
कीर्ति गान करें और पवित्रता में बढ़ते रहें, हमारे प्रभु ख्रीस्त के द्वारा। आमेन। प्रार्थना (हतोत्साहित
समस्याओं में बोलने योग्य) हे संत जूड! महिमापूर्ण प्रेरित! प्रभु येसु के विश्वासी
सेवक व मित्र! विश्वासघाती के नाम के कारण कईयों ने तुझे भुला दिया लेकिन कलीसिया हतोस्साहित
मामलों के संरक्षक के नाम से तेरा सम्मान करती है। मुझ निस्सहाय के लिए प्रार्थना कि
मैं सभी ज़रूरतों, उलझनों व कष्टों में सांत्वना प्राप्त कर सकूँ विशेषकर .........................
(अपने निजी निवेदन करें) ताकि मैं सदैव संतों की संगति में ईश्वर का गुणगान कर सकूँ।
हे संत जूड! प्रेरित, शहीद व प्रभु येसु ख्रीस्त, माँ मरियम व संत जोसफ के निकटतम
परिजन हमारे लिए प्रार्थना कर। आमेन।