2014-10-24 12:06:04

प्रेरक मोतीः सन्त एन्तोनी मरिया क्लारेट (1807-1870)


वाटिकन सिटी, 24 अक्टूबर सन् 2014:

क्लारेशियन धर्मसमाज के महाधर्माध्यक्ष, एन्तोनी का जन्म स्पेन के कातालोनिया प्रान्त के सालियेन्त में, सन् 1807 ई. में, हुआ था। वे एक जुलाहा के बेटे थे। पहले पहल वे भी अपने पिता के व्यावसाय में जुटे किन्तु बाद में उन्होंने समर्पित जीवन यापन का संकल्प किया। वे येसु धर्मसमाज में भर्ती होना चाहते थे किन्तु उनके बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण उन्हें धर्मसमाज में प्रवेश नहीं मिला। तथापि, उन्होंने पुरोहिताभिषेक की पढ़ाई की तथा धर्मप्रान्तीय पुरोहित रूप में अपनी प्रेरिताई आरम्भ की। सन् 1849 ई. में फादर एन्तोनी ने मरियम के निष्कंलक हृदय को समर्पित मिशनरी पुत्र नामक धर्मसमाज की स्थापना की जिसे आज हम क्लारेशियन धर्मसमाज के रूप में जानते हैं। साथ ही, धर्मबहनों के लिये उन्होंने निष्कलंक माँ को समर्पित प्रेरितिक प्रशिक्षण केन्द्र एवं धर्मसंघ की स्थापना की।



सन् 1850 ई. से सन् 1857 ई. तक, एन्तोनी, सान्तियागो दे क्यूबा के महाधर्माध्यक्ष रहे। तदोपरान्त, वे पुनः स्पेन लौटे जहाँ महारानी इज़ाबेल्ला द्वितीय के पापस्वीकारक रहे और उन्हीं के साथ सन् 1868 ई. में निष्कासन में चले गये। सन् 1869 ई. तथा सन् 1870 ई. में महाधर्माध्यक्ष एन्तोनी ने पहली वाटिकन महासभा में भाग लिया। 24 अक्टूबर, सन् 1870 ई. में दक्षिणी फ्राँस के फॉन्टफ्रोईड मठ में उनका निधन हो गया।



एन्तोनी मरिया क्लारेट को भविष्यवाणी का वरदान प्राप्त था तथा उन्होंने कई चमत्कार सम्पादित किये थे। उन्हें स्पेन तथा क्यूबा के स्वच्छन्दवादियों के विरोध का सामना करना पड़ा था। 19 वीं शताब्दी के सन्त एन्तोनी मरिया क्लारेट कपड़ा व्यापारियों तथा जुलाहों के संरक्षक सन्त घोषित किये गये हैं।



चिन्तनः "मैं तेरी सत्यप्रतिज्ञता के कारण उल्लास के साथ आनन्द मनाऊँगा; क्योंकि तूने मेरी दुर्गति देखी और मेरी आत्मा की पीड़ा पर ध्यान दिया है" (स्तोत्र ग्रन्थ, 31: 8)।








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