हैदराबाद, बृहस्पतिवार, 23 अक्तूबर 2014 (ऊकान)꞉ घरेलू कामकाजी मजदूरों में से करीब 90
प्रतिशत लोगों को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलती है।
हैदराबाद स्थित मोंटफॉर्ट सामाजिक
संस्थान में 14 अकटूबर को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित एक कार्यशाला में आंध्रप्रदेश एवं
तेलांगना राज्यों के 11 शहरों पर विचार किया गया ।
प्रस्तुत रिर्पोट में कहा
गया कि 90 प्रतिशत घरेलू श्रमिकों को न्यूनतम मासिक मजदूरी 5,574 रूपये भुगतान नहीं किया
जाता है। मजदूरों में से 91 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें सप्ताह में सात दिन कार्य करना
पड़ता है।
इन क्षेत्रों में 54 प्रतिशत मजदूर पिछड़ी जाति, 41 प्रतिशत अनुसूचित
जाति एवं मात्र 4 प्रतिशत दूसरी जाति के लोग रहते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि
77 प्रतिशत घरेलू मजदूर अशिक्षित हैं या सिर्फ प्राथमिक शिक्षा धारी हैं।
आज
भारत के शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए सबसे विस्तृत एवं बड़ा जीविका का साधन घरेलू
मजदूरी है। सरकारी आकलन के अनुसार 10 लाख घरेलू कामकाजी महिलाएँ हैं जबकि इस क्षेत्र
में कार्यरत लोगों का कहना है कि उनकी संख्या 30- 40 लाख के बीच है। भारत में बाल श्रमिकों
की संख्या भी करीब 15 लाख हैं।