वाटिकन सिटी, बुधवार 15 अक्तूबर, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के
अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में
ख्रीस्तीय आशा पर चिन्तन करें। ख्रीस्तीय आशा है येसु की वह प्रतिज्ञा जब येसु दुनिया
के अन्त में महिमा के साथ फिर आयेंगे।
इस संबंध में संत योहन कहते हैं कि वह दिन
महिमा का दिन होगा जब ईशप्रजा एक नये शहर येरूसालेम में येसु से मिलेगी। यह मुलाक़ात
कलीसिया द्वारा अपने दुल्हे की मुलाक़ात के सदृश होगी।
काथलिक कलीसिया और येसु
की मुलाक़ात को एक दूल्हा और दुल्हिन की मुलाक़ात के रूप में प्रकट करने के पीछे गहरा
अर्थ छुपा हुआ है।
येसु ने मानव रूप धारण करके मानव के साथ एक विशेष रिश्ता कायम
किया। और जब वे महिमा के साथ फिर आयेंगे तो हम फिर से एक रहस्य को देखेंगे जिसमें स्वर्गीय
विवाह भोज में काथलिक कलीसिया और येसु एक हो जायेंगे।
नये येरूसालेम का स्वप्न
भी हमें इस बात को याद दिलाता है कि एक नये नगर का निर्माण होगा जहाँ जहाँ लोग एक दूसरे
के साथ सौहार्दपूर्ण एकता और शांति का आनन्द प्राप्त करेंगे।
ख्रीस्तीय आशा का
यही अर्थ है आनन्दपूर्ण इन्तज़ार करते हुए मानव परिवार के लिये ईश्वरीय योजना को पूर्ण
करना। कलीसिया आज आशा का दीप पकड़े खड़ी है। आइये हम प्रार्थना करें कि हम भी अपने
जीवन आशा के विश्वास का तेल डालते रहें और ईश्वरीय प्रतिज्ञा के साक्ष्य अपने जीवन से
दे सकें।
इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने
भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने,
दक्षिण कोरिया फिनलैंड, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड.
फिनलैंड, जापान, उगान्डा, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका
और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास
में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद दिया।