2014-10-14 11:33:41

नई दिल्लीः ख्रीस्तीय एवं मुसलमान दलितों को आरक्षण अधिकार से वंचित रखने हेतु मंत्री के वकतव्य ने भड़काया रोष


नई दिल्ली, मंगलवार, 14 अक्टूबर सन् 2014 (ऊका समाचार): भारत के सामाजिक न्याय मंत्री के इस वकतव्य पर कि धर्मपरिवर्तन करनेवाले दलितों को सरकार आरक्षण अधिकार नहीं दे सकती, ख्रीस्तीय एवं मुसलमान नेताओं ने मंत्री की कड़ी आलोचना की।

स्थानीय मीडिया को दिया मंत्री थावर चंद गेहलोट का वकतव्य शुक्रवार को समाचारों में प्रकाशित किया गया था। वकतव्य में नवगठित भाजपा सरकार के मंत्री गेहलोट ने कहा था आरक्षण के लिये जारी झगड़ा व्यर्थ एवं तर्कहीन है।

मंत्री का कहना था, "उन्होंने छूआछूत के अभिशाप से बचने के लिये हिन्दू धर्म का परित्याग किया था जिसका ख्रीस्तीय और इस्लाम धर्म में अस्तित्व नहीं है। धर्मपरिवर्तन ने उनकी समस्या का समाधान कर दिया है इसलिये उन्हें अनुसूचित जाति में आरक्षण का आवेदन नहीं करना चाहिये।"

ग़ौरतलब है कि भारत में दलितों एवं अछूतों को संविधान द्वारा विशेष अधिकार एवं सुविधाएँ प्राप्त हैं जो ख्रीस्तीय एवं मुसलमान दलितों को नहीं दी जाती हैं।

ख्रीस्तीय एवं इस्लाम धर्म के दलित आरक्षण के लिये संघर्षरत हैं। उनकी दलील है कि धर्मपरिवर्तन के बावजूद उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार नहीं आया है।

भारत में कलीसियाओं की राष्ट्रीय समिति के सेमुएल जयकुमार ने सोमवार को ऊका समाचार से कहा कि मंत्री गेहलोट का वकतव्य "ख्रीस्तीय एवं इस्लाम धर्मानुयायियों के विरुद्ध भेदभाव को दर्शाता है।"

उन्होंने प्रश्न कियाः "धर्म परिवर्तन से सरकार को भय क्यों है? सरकार सम्पूर्ण राष्ट्र एवं सभी नागरिकों के लिये है, किसी एक विशिष्ट धर्म की रक्षा करना उसका काम नहीं है।"

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के दलित एवं पिछडे वर्ग सम्बन्धी कार्यालय के सचिव फादर देवसहाय राज ने इस बात से इनकार किया कि धर्मपरिवर्तन से दलितों की समस्या का समाधान मिल गया है। उन्होंने कहा कि वे अभी भी ज़रूरतमन्द हैं, निर्धन हैं तथा समाज में भेदभाव का शिकार बनाये जाते हैं।

ऑल इन्डिया जमात-उल हवारी मुस्लिम संगठन के हाज़िफ़ अहमद हवारी ने कहा, "सरकार हमें आरक्षण देने से भय खा रही है क्योंकि सन् 1950 ई. में हिन्दू राष्ट्रवादी बलों के दबाव में आकर ही ख्रीस्तीयों एवं मुसलमानों को आरक्षण सूची से हटा दिया गया था।








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