नयी दिल्ली, सोमवार, 13 अक्तूबर, 2014 (उकान) समाज सेवा के लिये सक्रिय ' जेस्विट्स
इन सोशल ऐक्शन ' (जेईएसए) ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों से अपील की है कि वे
अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ किये जाने वाले नफ़रतपूर्ण प्रचार को तुरंत रोकने के लिये ठोस
कदम उठाये।
'जेसा ' के सदस्यों ने कहा कि घृणा और हिंसा से प्रेरित अल्पसंख्यक
विरोधी प्रचारों से गाँवों तथा शहरों में सामाजिक सद्भाव से जीवन यापन करने वालों पर
प्रतिकूल असर पड़ता है।
' जेसा ' नामक संगठन ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत किया और
बताया कि पिछले मई से सितंबर 2014 के बीच भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद
अल्पसंख्यकों पर हिंसा के करीब 600 रिपोर्ट दायर किये गये हैं।
समाज कल्याण से
जुड़े जेस्विटों का मानना है कि सत्ताधारी राजनीतिक समर्थन पर अतिवादी हिन्दु संगठनों
ने अल्पसंख्यकों को परेशान किया है और कई बार ऐसे असामाजिक तत्वों पर कोई कारवाई भी नहीं
की गयी है।
फली नरीमन नामक न्यायविद् ने खुले रूप से इस ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट
करने हुए कहा कि 100 दिन के भाजपा के शासनकाल में अल्पसंख्यक ईसाइयों और मुसलमानों के
विरुद्ध अभद्र और नफ़रत फैलानेवाले वक्तव्यों में वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा
कि कई बार अल्पसंख्यकों की पहचान की हँसी उड़ायी गयी, उनके विश्वास पर संदेह किया गया,
तो कई बार उनकी नागरिकता पर प्रश्न किये गये इससे विभाजन, संशय और फूट बढ़ती है।
जेसा
ने कहा कि इस प्रकार के वातावरण में अल्पसंख्यक तो निःसहाय ही है आम नागरिक वकील, बुद्धिजीवी
में मूक बने हुए हैं।
जेस्विट संगठन गृह मंत्री से माँग की है वे ऐसे लोगों पर
कारवाई करें जिनके नफ़रतपूर्ण भाषणों से तनावपूर्ण स्थिति बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा
कि गृहमंत्री एक निर्देश जारी करे ताकि पुलिस अतिवादी या उग्रवादी संगठनों के दबाव से
ऊपर हो।