2014-10-13 15:20:30

निमंत्रण की तीन प्रमुख विशेषताएँ


वाटिकन सिटी, सोमवार, 13 अक्तूबर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रविवार 12 अक्टूबर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,
″अति प्रिये भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
इस रविवार के सुसमाचार पाठ में, येसु ईश्वर के निमंत्रण का प्रत्युत्तर देने के बारे में बतलाते हैं जिन्हें एक राजा के रूप में प्रस्तुत किया गया है तथा जो विवाह भोज हेतु निमंत्रण देता है।″

संत पापा ने कहा, ″निमंत्रण की तीन प्रमुख विशेषताएँ हैं, बिना कुछ लिए देना, विशालता तथा सार्वभौमिकता। सुसमाचार के अनुसार विवाह भोज में बहुत सारे लोग निमंत्रित थे किन्तु एक आश्चर्यजनक घटना घटी। निमंत्रित लोगों में से किसी ने भोज में आना स्वीकार नहीं किया, उन्होंने काम का बहाना कर भोज में जाने से इन्कार कर दिया।″ संत पापा ने कहा कि निश्चय ही, यह उनकी उदासीनता, अलगाव की भावना और उनके चिड़चिड़ेपन को दर्शाता है। ईश्वर चूँकि भले हैं, वे हमें अपनी मित्रता, आनन्द तथा मुक्ति के सहभागी बनाना चाहते हैं किन्तु बहुत बार हम उनके वरदानों को अस्वीकार करते तथा उसके स्थान पर अपनी भौतिक चीजों एवं रुचि को स्थान देते हैं।

संत पापा ने कहा कि कुछ निमंत्रित लोगों ने नौकरों के साथ बुरा बरताव भी किया तथा उन्हें मारा पीटा किन्तु निमंत्रण को अस्वीकार करने के बावजूद ईश्वर की योजना को पूर्ण होने से कोई भी बाधा नहीं रोक सकी। मेहमानों की अस्वीकृति पर वे हतोत्साहित नहीं हुए, भोज को भी स्थगित नहीं किया किन्तु पुनः नौकरों को सड़कों एवं चौराहों पर भेजकर वहाँ मिले सभी लोगों को भोज हेतु निमंत्रण के साथ ले आये। वे साधारण, गरीब, परित्यक्त तथा एकाकी लोग थे उनमें से कुछ भले लोग थे और कुछ बुरे लोग भी किन्तु उनके बीच कोई भेदभाव नहीं था। विवाह भोज का मंडप बाहर के लोगों से भर गया।

संत पापा ने कहा, ″किसी के द्वारा सुसमाचार की उपेक्षा किया जाना आशा के विपरीत है।″
उन्होंने कहा, ″ईश्वर के भले होने की कोई सीमा नहीं है तथा वे किसी के प्रति भेदभाव भी नहीं रखते है क्योंकि ईश्वर की कृपा सभी लोगों के लिए है। ईश्वर के निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए सभी लोग बुलाये जाते हैं अतः कोई भी उसे अपना विशेषाधिकार या मात्र अपना सोचकर दावा नहीं कर सकता। ये सभी हमें याजकों एवं फरीसियों के समान, अपने आप को केंद्र में रखकर आराम की खोज करने की आदत से ऊपर उठाता है। यह जानते हुए हमें उपनगरों में अपने आपको उदार बनाना है कि हाशिए पर जीवन यापन कर रहे लोग भी ईश्वर की उदारता के सहभागी हैं। हम सभी कलीसिया की सीमा के अन्दर ईश्वर के राज्य को घटाने के लिए नहीं बुलाये गये हैं किन्तु ईश्वर की कलीसिया के आकार को फैलाने के लिए बुलाये गये हैं।

किन्तु इस विवाह भोज में भाग लेने के लिए कुछ शतें हैं उसके अनुसार विवाह के वस्त्र पहनना आवश्यक है। घर में प्रवेश करने पर राजा सभी पर दृष्टि लगाते हैं कि कहीं किसी ने भोज के परिधान को धारण करने से इन्कार तो नहीं किया है। वह व्यक्ति जिसने भोज का परिधान धारण नहीं किया था उसे बाहर किया गया।
यह पाठ हमें याद दिलाता है कि विश्वास के कारण हम ईश्वर के भोज में शामिल हो चुके हैं तथा उस कृपा से पोषित हुए हैं जो हमें हमारी यात्रा हेतु शक्ति प्रदान करती है।

संत पापा ने कहा, ″हम तब तक विवाह भोज के वस्त्र का दावा नहीं कर सकते जब तक कि हम ईश्वर तथा पड़ोसी के प्रति प्यार में नहीं जीते है। विश्वास उदारता के साक्ष्य की मांग करता है यह सद्भावना के ठोस मनोभाव एवं भाइयों एवं बहनों की सेवा में परिलक्षित होती है विशेषकर, कमजोर लोगों की। उन कमज़ोर लोगों में, अत्याचार के शिकार लोग भी आते हैं।
संत पापा ने विश्वासियों का आह्वान करते हुए कहा कि विश्वास के कारण अत्याचार के शिकार बहुत सारे भाई-बहनों की आशाओं एवं दुखद घटनाओं को माता-मरिया की मध्यस्थता द्वारा ईश्वर को सौंप दें तथा वाटिकन में इन दिनों चल रहे सिनॉड के कार्यों पर उनकी आशीष हो।
इतना कहकर संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने देश विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया तथा सूचना देते हुए कहा कि आज सासारी में फ्रायर माईनर कॉन्वेंचुवल के फादर फ्राँसिस ज़िरानो की धन्य घोषणा की गयी। विश्वास की उपेक्षा करने के बजाय उन्होंने मृत्यु स्वीकार किया। सुसमाचार के वीरतापूर्ण साक्ष्य के लिए हम ईश्वर को धन्यवाद दें। ख्रीस्त के प्रति उनका साहसपूर्ण निष्ठा ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों पर क्रूर अत्याचार के संदर्भ में एक तीखी आवाज है।

संत पापा ने जेनोवा में बाढ़ पीड़ित लोगों की याद की तथा उन्हें प्रार्थना का आश्वासन देते हुए कहा कि जो बाढ़ के शिकार हैं तथा जिन्हें बाढ़ के कारण विनाश का सामना करना पड़ रहा है उन्हें हम प्रार्थना का आश्वासन देते हैं। मात मरिया उन्हें इस संकट से उबरने में मदद करे।

अंत में संत पापा ने सभी का अभिवादन करते हुए उन्हें शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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