वाटिकन सिटी, शुक्रवार 10 अक्तूबर, 2014 (सेदोक,वीआर) वाटिकन सिटी में परिवार विषय पर
धर्माध्यक्षों की महासभा सिनॉद में कहा गया कि प्रार्थना पारिवारिक जीवन का केन्द्र है।
शुक्रवार 10 अक्तूबर की सुबह की प्रार्थना सभा में प्रवचन देते हुए पापुवा न्यू गिनी
के वाबाग के धर्माध्यक्ष अरनोल्ड ओरोवय ने कहा कि परिवार ही ऐसा केन्द्र है जहाँ अधिकतर
लोग येसु, कलीसिया के सदस्यों और काथलिक समुदाय के सदस्य बनना सीखते हैं। धर्माध्यक्ष
अरनोल्ड ने कहा कि काथलिक परिवारों को चाहिये कि वे परिवार के द्वारा ही सुसमाचार का
प्रचार करें। उन्होंने कहा कि परिवारों के सदस्य को चाहिये कि वे ईश्वर प्रदत्त दायित्वों
को गंभीरतापूर्वक लें, अपने बच्चों की परवरिश करें, धर्मशिक्षा दें उनका मार्गदर्शन करें,
उनकी देखभाल करें और उनकी सुरक्षा का ख़्याल रखें। उन्होंने कहा कि ईश्वर पर पूरी
आस्था रखने से हम स्नेहपूर्ण संबंध स्थापित कर सकते और इस प्रेम को हम अपने कार्यों से
दिखा सकते हैं ताकि उनके शरीर और आत्मा दोनों को इसका लाभ मिले। अपने प्रवचन में
धर्माध्यक्ष ने संत पापा फ्राँसिस के पत्र ' एवान्जेली गौदियुम ' की पहली पंक्ति को
उद्धृत करते हुए कहा कि सुसमाचार का आनन्द उन सब के दिल को खुशी से भर देता है जिनकी
मुलाक़ात येसु से होती है। उन्होंने कहा कि संत पापा ने बहुत ही सरल शब्दों से दुनिया
में एक दीप जलाया है जो शीघ्रता से पूरी दुनिया में फैल रहा है। उन्होंने कहा कि
आज ज़रूरत है कि परिवार के सदस्य नये तरीके से सुसमाचार के अर्थ को खोजें, इसका अध्ययन
करें, अपने बच्चों के साथ करें और एक-साथ मिल कर प्रार्थना करें और इसे अपने जीवन का
अभिन्न अंग बना लें। ख्रीस्तीय परिवारों में प्रार्थना को सर्वोच्च स्थान देने से
विश्वास, आशा, प्रेम, आनन्द और शांति मजबूत होगा। परिवार वही स्थल है जहाँ व्यक्ति
को सौहार्दपूर्ण तरीके से एक – साथ रहने का आनन्द प्राप्त हो और वह येसु के प्रेम और
आनन्द का साक्ष्य बने।