वाटिकन सिटी, बुधवार 8 अक्तूबर, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में
ख्रीस्तीय एकता के बारे में चिन्तन करें। येसु का अनुसरण करनेवालों में विभाजन येसु की
इच्छा के विरुद्ध है जैसा कि उन्होंने अपनी प्रार्थना में कहा है। हे पिता वे सब एक हो
जायें ताकि दुनिया विश्वास करे।
येसु की इच्छा है कि हम सब उसके स्नेह और एक-दूसरे
के प्रेम में एक हो जायें। फिर भी सच्चाई तो यह है कि ख्रीस्तीय धर्म के इतिहास में कलीसिया
ने इस एकता के विपरीत जाने के प्रलोभन का अनुभव किया है और कई बार इसके परिणाम घातक हुए
हैं।
हमें चाहिये कि हम इस प्रकार के विभाजन के शिकार न बनें और येसु के साथ
उस प्रार्थना को करें जिसमें उन्होंने कहा है कि उसका प्रत्येक अनुसरणकर्ता दूसरे के
प्रति खुला रहे, वार्ता कर और दूसरे के वरदानों की सराहना करे।
येसु को प्रेम
करने और उसके प्रेम को दूसरों को बाँटने से हम उस बात का सुखद अनुभव कर पायेंगे जो हमें
संगठित करती और टूटने नहीं देती।
हम सत्य में बने रहेंगे और एक दूसरे को क्षमा
देकर प्रेम प्रकट कर सकेंगे और येसु की इच्छा को पूर्ण कर सकेंगे।
येसु की हार्दिक
इच्छा थी कि हम एक-दूसरे के करीब आयें और पूर्ण रूप से एक हो जायें।
इतना कहकर
संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया,
इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया फिनलैंड,
ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. फिनलैंड, जापान, उगान्डा,
मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों,
उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और
दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।