2014-10-04 15:49:48

‘खेत में छिपा ख़ज़ाना’पुरोहितीय प्रेरिताई


वाटिकन सिटी शनिवार, 4 अक्तूबर 2014 (वीआर अंग्रेजी)꞉ रोम में काथलिक पुरोहितों के लिए परमधर्मपीठीय धर्मसंध की सभा के प्रतिनिधियों से, संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 3 अक्टूबर को मुलाकात कर पुरोहितीय प्रेरिताई को ‘खेत में छिपे खज़ाना’ की संज्ञा दी।

संत पापा ने उन्हें सम्बोधित करते हुए कहा कि एक अभिषिक्त पुरोहित को उस बहुमूल्य खजाने की खोज करना चाहिए तथा उसे प्रकाश में लाना चाहिए न कि उससे व्यक्तिगत रूप से समृद्ध होने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने पुरोहितों से कहा, ″जो लोग प्रेरिताई के लिए बुलाये गये हैं वे अपनी बुलाहट के मालिक नहीं हैं किन्तु सभी लोगों की भलाई हेतु ईश्वर प्रदत्त वरदान के प्रशासक हैं।″ संत पापा ने कहा कि यदि किसी कारण वश किसी पुरोहित ने धर्मसमाजी जीवन का परित्याग कर दिया हो और ख्रीस्तीय विश्वास को न जीता हो, तब भी वह उस ईश्वर प्रदत्त वरदान का प्रशासक है।

संत पापा ने पुरोहितों के प्रति ख्रीस्तीय समुदाय की ज़िम्मेदारी की याद दिलाते हुए कहा कि समस्त ख्रीस्तीय समुदाय का दायित्व है कि वे पुरोहितों के बुलाहट रूपी खजाने की रक्षा करें, उन्हें प्रोत्साहन दें तथा उन्हें प्यार से आगे बढ़ने में सहयोग दें।

संत पापा ने कहा, ″बुलाहट रूखड़े सतह पर हिरे के समान है जिसे धीरज तथा देखरेख द्वारा सुन्दर बनाना है ताकि वह विश्वासियों के बीच जगमगा सके। पुरोहितों के प्रशिक्षण में, ख्रीस्त की प्रशिक्षण पद्धति को अपनाने की आवश्यकता है जिसमें वे कहते हैं ‘आओ और देखो तथा तुम भी वैसा ही करो जैसा मैंने किया है क्योंकि प्रशिक्षण एकतरफा नहीं है जिसमें कोई शिक्षक ईशशास्त्र के ज्ञान का हस्तांतरण करता हो।″

एक अभिषिक्त का प्रशिक्षण जीवन पर्यन्त चलता है क्योंकि वह सदा ख्रीस्त का शिष्य बना रहता है उस परिस्थिति में भी, जब वह शिष्य की राह से भटक जाता है अतः प्रशिक्षण को समग्र होना चाहिए जिसमें प्रत्येक के बौद्धिक प्रशिक्षण के साथ-साथ उनके मानवीय एवं आध्यात्मिक आयाम को भी सही दिशा मिले।

संत पापा ने कहा कि बुलाहट की शुरूआत सुसमाचार के मिशन से होती है तथा सुसमाचार के मिशन की शुरूआत भ्रातृत्व एवं अन्य अभिषिक्तों की एकता में होती है। इस प्रकार की प्रेरिताई सुदृढ़ तथा उत्साहवर्धक होती है जो अपने स्वार्थ की खोज करने से व्यक्ति को रोकता है अतः पुरोहितों को अपने विश्वासियों के बीच सचेत रहने की आवश्यकता है कि वे पुरोहित हैं। वे अपनी जीवन शैली के प्रति सचेत रहें क्योंकि उसके द्वारा भी सुसमाचार का साक्ष्य प्रस्तुत किया जाता है।

संत पापा ने प्रतिभागियों के सम्मुख चुनौतियों को रखते हुए कहा कि कलीसिया को पुरोहितों की आवश्यकता है जब कि बुलाहट में कमी आ रही है। प्रभु बुला रहे हैं किन्तु वह पर्याप्त नहीं है जिसके कारण धर्माध्यक्ष बिना सोच-विचार किये युवाओं को ग्रहण करने के प्रलोभन में पड़ जाते हैं। इस प्रकार के पुरोहितों द्वारा कलीसिया को हानि होती है। संत पापा ने कहा कि उम्मीदवारों का चयन एक महत्वपूर्ण कार्य है धर्माध्यक्षों को चाहिए कि अच्छी तरह परख कर वे युवकों को पुरोहिताई हेतु चुनें एवं आगे बढ़ायें।








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