वाटिकन सिटी, बुधवार 1 अक्तूबर, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में में विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, वरदानों पर धर्मशिक्षामाला
को जारी रखते हुए आइये आज हम पवित्र आत्मा के वरदानों पर चिन्तन करें। पवित्र आत्मा के
वरदना येसु ख्रीस्त के शरीर अर्थात कलीसिया को जीवित और समृद्ध बनाते हैं।
पवित्र
आत्मा के वरदान ऐसी कृपायें हैं जो विश्वासियों को मुफ़्त में प्राप्त होते हैं ताकि
इससे सामुदायिक जीवन को लाभ मिले।
पवित्र आत्मा के वरदान व्यक्तिगत रूप से दिये
जाते हैं पर इसे पूरी कलीसिया खोज निकालती और पूरा समुदाय इसे स्वीकार करता है।
पवित्र
आत्मा के वरदान अपनी प्रिय संतान के लिये ईश्वर के असीम प्रेम का एक चिह्न है जिसके द्वारा
हम कलीसिया का निर्माण कर सकते हैं और विश्वास तथा आपसी प्रेम को सुदृढ़ कर सकते हैं।
पवित्र आत्मा के वरदान विभिन्न हैं और इसी लिये हमें चाहिये कि हम उन्हें उदारतापूर्वक
दूसरों के साथ बाँटें ताकि दूसरे भी इससे लाभान्वित हों। ये गुण हमें एकता के एकसूत्र
में बाँधे और किसी प्रकार के विभाजन से बचाये। आइये आज हम पिता ईश्वर से कृपा माँगें
ताकि हम आध्यात्मिक वरदानों को कृतज्ञतापूर्वक पहचानें, विश्वास में दृढ़ रहें और ईश्वर
के असीम प्रेम का विश्वसनीय साक्ष्य बने रहें।
आज के दिन प्रत्येक जन इस बात
पर चिन्तन करे कि उसने पवित्र आत्मा के किस वरदान को पाया है और कलीसियाई एकता और सुसमाचार
का प्रचार के लिये उस गुण का प्रयोग किस तरह से कर रहा है।
इतना कहकर संत
पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया,
वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया फिनलैंड, ताइवान, नाइजीरिया,
आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, उगान्डा, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया,
हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार
के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना
करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।