वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 25 सितम्बर 2014 (वीआर अंग्रेजी)꞉ संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा
की 69 वीं सत्र में भाग ले रहे प्रतिनिधियों को संत पापा फ्राँसिस ने अपना संदेश प्रेषित
किया।
महासभा को संत पापा का संदेश, संयुक्त राष्ट्रसंघ के लिए परमधर्मपीठ के
नये स्थायी प्रेक्षक महाधर्माध्यक्ष बेर्नारदीतो औज़ा द्वारा उनके प्रथम वक्तव्य के अंत
में 24 सितम्बर को दिया गया।
संत पापा ने संदेश में लिखा, ″हम एक साथ मिलकर संयुक्त
राष्ट्रसंघ के मूल आदर्शों पर ध्यान रखते हुए आगे बढ़ें जिनमें पहला है ‘युद्ध के संकट
से, आने वाली पीढ़ी की रक्षा करना।’ हम शांति के आह्वान को सुनें जो कहता है ‘वे अपनी
तलवार को पीट-पीट कर फाल और अपने भाले को हँसिया बनायें। राष्ट्र एक-दूसरे पर तलवार नहीं
चालायेंगे और युद्ध-विद्या की शिक्षा समाप्त हो जायेगी।’ (ईसा.2꞉4) अपने सिद्धांतों का
बोझ दूसरों पर लादने के लिए, कोई भी व्यक्ति अन्यों पर हिंसात्मक दबाव न करे क्योंकि
युद्ध पागलपन है और हिंसा मूर्खता।″
संत पापा ने कहा है कि विश्व के विभिन्न
हिस्सों में, हिंसा और युद्ध की इस परिस्थिति में बहुतों को अशांति का सामना करना पड़
रहा है। कई भागों में मृत्यु, विनाश और विध्वंसकारी संगठनों के बीच लोग जी रहे हैं। ऐसा
प्रतीत होता है कि युद्ध जैसे पागलपन और हिंसा की मूर्खता से, अब भी सीख लेने की आवश्यकता
है।
महाधर्माध्यक्ष बेर्नारदीतो औज़ा ने संत पापा के संदेश को प्रस्तुत करते
हुए कहा कि संत पापा फ्राँसिस की आशा है कि शांति को प्रोत्साहन देने एवं ग़रीबी की समस्या
के हल हेतु संयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा में अवश्य कोई कारगर उपाय निकाला जाए जिसमें
परिवार एवं समुदाय के बीच एक दूसरे से दुःख-सुख बांटने के द्वारा प्रेम संबंध मजबूत हो
जो मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने महासभा के प्रतिनिधियों के प्रति अपनी
आध्यात्मिकता सामीप्य एवं प्रार्थना का आश्वासन दिया।