वाटिकन सिटीः आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस हेतु सन्त पापा का सन्देश प्रकाशित
वाटिकन सिटी, 24 सितम्बर सन् 2014 (सेदोक): वाटिकन ने मंगलवार 23 सितम्बर को, आप्रवासियों
एवं शरणार्थियों को समर्पित दिवस सन् 2015 हेतु सन्त पापा फ्राँसिस के सन्देश की प्रकाशना
कर दी। यह दिवस प्रतिवर्ष 18 जनवरी को मनाया जाता है।
"कलीसिया सीमाओं से रहित,
कलीसिया सबकी माता", सन्त पापा के सन्देश का विषय है जिसमें सन्त पापा ने इस बात पर बल
दिया है कि आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के प्रति सहिष्णुता ही पर्याप्त नहीं है अपितु
उनका आदर सत्कार करना तथा उनके प्रति एकात्मता प्रदर्शित करना अनिवार्य है।
अपने
सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने मानव प्राणियों की लज्जास्पद एवं अपराधिक तस्करी की
कड़ी निन्दा की तथा इस घिनौने व्यापार को समाप्त करने के लिये विभिन्न राष्ट्रों के बीच
एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर क्रमबद्ध एवं सक्रिय सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा
कि मानव तस्करी के साथ जुड़ी समस्याओं का समाधान किसी एक राष्ट्र द्वारा नहीं पाया जा
सकता, इसके लिये सबके सहयोग एवं दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है।
सन्त पापा ने
लिखा, "कलीसिया सबकी माता होने के नाते सीमाओं के परे सबकी सहायता को तत्पर है, वह सम्पूर्ण
विश्व में आतिथेय एवं एकात्मता की संस्कृति का प्रचार करती है जिसमें कोई भी व्यक्ति
व्यर्थ या बेकार नहीं होता, कोई भी व्यक्ति फेंकने वाली वस्तु नहीं समझा जाता।"
सन्देह,
वैमनस्यता तथा पूर्वधारणाओं से मुक्त होकर ज़रूरतमन्दों की सहायता का आग्रह कर सन्त पापा
फ्राँसिस ने लिखाः "आज बड़े पैमाने पर विश्व में आप्रवास जारी है। लोग भय एवं आतंक से
भरे, बड़ी संख्या में स्वदेशों का परित्याग कर बेहतर जीवन की उम्मीद लिये ख़तरनाक यात्राओं
के लिये भी तैयार हैं जिनकी मदद करना हर ख्रीस्तानुयायी का दायित्व होना चाहिये।"
सन्त
पापा ने लिखाः "आप्रवास के वैश्वीकरण का प्रत्युत्तर उदारता एवं सहयोग के वैश्वीकरण से
दिया जाना आवश्यक है ताकि आप्रवासियों की जीवन परिस्थितियों को और अधिक मानवीय बनाया
जा सके।"