2014-09-24 15:12:27

अल्बानिया की प्रेरितिक यात्रा


वाटिकन सिटी, बुधवार 24 अगस्त, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में में विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में आपलोगों को अल्बानिया की प्रेरितिक यात्रा के बारे में बतलाना चाहता हूँ। पिछले रविवार 21 सितंबर को मैंने अल्बानिया की यात्रा की जो अल्बानिया के विश्वासियों के लिये मेरी और पूरी सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के सामीम्य का एक चिह्न था।

अल्बानिया के ख्रीस्तीय नास्तिक और अमानुषिक शासकों द्वारा वर्षों तक सताये गये और अब एक ऐसे समाज का निर्माण करने को संकल्पबद्ध हैं जहाँ सार्वजनिक हित के लिये कार्य करने के लिये शांति, आपसी सम्मान और सहयोग का वातावरण हो।

इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है जिन धार्मिक समुदायों ने एक समय ईश्वर में अपने विश्वास के लिये यातनायें झेली उनमें अब सहअस्तित्व और वार्ता का वातावरण जीने का उत्साह है।

जब मैने विभिन्न धार्मिक समुदायों के प्रतिनिधियों से मिला तो उन्हें इस बात के लिये प्रोत्साहित किया कि वे इसका साक्ष्य देते रहें जो व्यक्ति का सम्मान देता और उसकी पहचान को उज़ाकर करता है।

काथलिक भाई-बहनों के साथ हमने उन शहीदों के साहसिक साक्ष्य की सराहना की जिनके दुःख और खून ने आध्यात्मिक नया जीवन प्रदान किया है। मैंने ईसाइयों को इस बात के लिये प्रोत्साहन दिया कि वे अच्छाई, सेवा और मेल-मिलाप के ख़मीर बनें।
मेरी प्रार्थना है कि माता मरिया की मध्यस्थता द्वारा ईश्वर अल्बानिया के लोगों को प्रेरित करे ताकि वे एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहाँ न्याय शांति और आपसी सहयोग की भावना हो।

इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया फिनलैंड, अमेरिका, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, उगान्डा, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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