तिरानाः अलबानिया में सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा सम्पन्न
तिराना, 22 सितम्बर सन् 2014 (सेदोक): विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त
पापा फ्राँसिस अलबानिया में अपनी एक दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पूरी कर रविवार रात्रि साढ़े
नौ बजे पुनः रोम लौट आये। यह यात्रा सन्त पापा की चौथी अन्तररराष्ट्रीय यात्रा थी। इटली
से बाहर यूरोप में यह उनकी पहली यात्रा था जो आशा और विश्वास के चिन्हों से भरी रही।
कई बार सन्त पापा फ्राँसिस यूरोप के सन्दर्भ में कहते रहे हैं कि यह महाद्वीप
वृद्ध होता जा रहा है किन्तु अलबानिया यूरोप का वह देश है जहाँ सन्त पापा ने युवा यूरोप
के दर्शन किये। वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने वाटिकन रेडियो से बातचीत
में बताया कि तिराना हवाई अड्डे से राष्ट्रपति भवन जाते समय मार्गों के ओर छोर खड़े लोगों
को इंगित कर कई बार सन्त पापा फ्राँसिस कह उठे कितने युवा लोग हैं इधर, यह देश वास्तव
में युवाओं का देश है।
फादर लोमबारदी ने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस ने युवा अलबानिया
के विषय को अपने प्रवचनों में भी दुहराया और इस प्रकार भविष्य के निर्माण हेतु आशा को
जाग्रत किया। साथ ही उन्होंने स्पष्टतः कहा है कि अलबानिया एक युवा देश होने के नाते
यूरोप को अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है और इसीलिये वह यूरोपीय समुदाय में पूर्णतः
एकीकृत होने की आशा करता है।
फादर लोमबारदी ने यह भी बताया कि तिराना के मार्गों
में प्रस्थापित गरुड़ों की तस्वीरों को देख सन्त पापा ने वाटिकन रेडियो के डॉन दाविद
से कहा कि गरुड़ ऊँचाई में उड़ान भरता है तथापि अपने नीड़ को नहीं भूलता और वहाँ लौटकर
वापस आता है। फादर लोमबारदी ने कहा कि अपने प्रवचनों में सन्त पापा ने इस विषय पर भी
चिन्तन प्रस्तुत किया जिससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहा जा सकता। सन्त पापा ने कहा
थाः "अलबानिया गरुड़ों का देश है, यह प्रतीक रुचिकर हैः गरुड़ ऊँची उड़ान भरने में सक्षम
है, आदर्शों में, महान साक्ष्यों में जिनका स्मरणोत्सव हम मना रहे हैं। साथ ही गरुड़
विश्वसनीय हैः वह अपने इतिहास के प्रति निष्ठावान है, अपनी जड़ों के प्रति सत्यनिष्ठ,
अपनी जड़ों के मूल्यों की ओर लौटने में सक्षम ताकि भविष्य में उसका साक्ष्य प्रदान कर
सके।"