वाटिकन सिटी, शनिवार, 20 सितम्बर 2014 (वीआर अंग्रेजी)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार
19 सितम्बर को, प्रेरितिक प्रबोधन एवन्जेली गौदियुम पर आधारित सम्मेलन के प्रतिभागियों
से मुलाकात की।
सुसमाचार का आनन्द जो प्रेरिताई की एक कुंजी है उसमें कलीसिया
की प्रेरितिक नवीकरण के लिए रणनीति और उपाय तलाशने के क्रम में, सुसमाचार प्रचार नवीवीकरण
हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के तत्वधान में, पौल षष्ठम सभागार में आयोजित 3 दिवसीय
सम्मेलन के दूसरे दिन संत पापा ने करीब 2,000 प्रतिभागियों से मुलाकात की।
उन्होंने
उन्हें सम्बोधित करते हुए संत मती रचित सुसमाचार पर प्रकाश डाला जहाँ येसु भीड़ पर तरस
खाते हैं जो थकी-मांदी, उपेक्षित तथा बिना चरवाहे के भेड़ों की तरह थे। उन्होंने कहा
कि उसी तरह आज भी समाज में बहुत सारे लोग परेशानी तथा उपेक्षा महसूस करते एवं कलीसिया
से इसके उत्तर का इंतजार करते हैं। संत पापा ने उपस्थित लोगों से प्रश्न करते हुए कहा,
″हम ऐसे लोगों के बीच किस प्रकार अपने विश्वास का साक्ष्य दे सकते हैं?″
उन्होंने
कहा, ″मैं आज के विश्व की जटिल वास्तविकता पर विचार नहीं कर रहा हूँ किन्तु कलीसिया से
अपील कर रहा हूं कि वे समय के चिन्ह को पहचानें जो हमें आशा एवं साहस प्रदान करेगा। धर्माध्यक्ष,
पुरोहित, याजक, प्रचारक तथा वे सभी जो विश्वास प्रसार के कार्यों में संलग्न हैं उन्हें
समय के चिन्ह को पहचानकर, विवेक एवं सहानुभूति के साथ उसका प्रत्युत्तर देना चाहिए।
उन्होंने
कहा कि सदुकियों फरीसियों की तरह भय खाने एवं अपने सुरक्षा का उपाय ढूंढने की अपेक्षा,
जो प्रेरितिक कार्यों में जुड़े हैं उन्हें सदा बाहर निकल कर शांति की तलाश करने वालों
को ख्रीस्त की शांति प्रदान करना है।
प्रेरिताई हेतु पहल मात्र की अपेक्षा, संत
पापा ने धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सभी समस्याओं को खत्म
करने के लिए हमारे पास कोई जादू मंत्र तो नहीं है किन्तु निश्चय ही, हम ईश्वर पर विश्वास
द्वारा प्रयास जारी रख सकते हैं क्योंकि ईश्वर हमारे प्रयासों में हमारा साथ देते हैं
तथा हमें कभी नहीं छोड़ते।
प्रेरितिक प्रबोधन एवन्जेली गौदियुम पर आधारित सम्मेलन
18 सितम्बर को शुरू हुआ जो 20 सितम्बर तक चलेगी।