वाटिकन सिटीः शहीदों का सम्मान, अन्तर-धार्मिक वार्ता को प्रोत्साहन सन्त पापा का अलबानिया
यात्रा का उद्देश्य
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 16 सितम्बर सन् 2014 (सेदोक): वाटिकन में परमधर्मपीठीय प्रेस कार्यालय
के निर्देशक फादर फेदरीको लोमबारदी ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ख्रीस्तीय
धर्म के शहीदों का सम्मान करना तथा विभिन्न धर्मों के बीच अन्तर-धार्मिक सम्वाद को प्रोत्साहन
देना सन्त पापा फ्राँसिस की अलबानिया यात्रा का उद्देश्य है।
रविवार, 21 सितम्बर
को सन्त पापा फ्राँसिस अलबानिया की यात्रा करनेवाले हैं। यह यात्रा उनकी चौथी विदेश यात्रा
है तथा इटली से बाहर पहली यूरोपीय यात्रा है।
फादर लोमबारदी ने कहाः "सन्त
पापा की अलबानिया यात्रा के प्रमुख कारणों में से एक है निरीश्वरवादात्मक साम्यवादी काल
के अधीन दमन चक्र का शिकार बने शहीदों के प्रति श्रद्धा अर्पित करना।"
उन्होंने
इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि अलबानिया वह पहला राष्ट्र था जिसे आधिकारिक रूप
से नास्तिक घोषित किया गया था तथा जिसके संविधान में औपचारिक रूप से नास्तिकतावाद को
प्रतिष्ठित किया गया था।
फादर लोमबारदी ने कहा कि उक्त यात्रा का दूसरा प्रमुख
कारण विभिन्न धर्मों के बीच मैत्री को प्रोत्साहन देना है। यूरोप का एकमात्र मुसलमान
बहुल देश अलबानिया, अन्य राष्ट्रों एवं सम्पूर्ण विश्व के लिये विभिन्न धर्मों के बीच
सहअस्तित्व का सन्देश दे सकता है।
पत्रकारों से बातचीत में फादर लोमबारदी ने
यह भी बताया कि 21 सितम्बर की यात्रा के दौरान अलबानियाई इतिहास की दो महान हस्तियों
पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जायेगा। इनमें सर्वप्रथम हैं सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय
जिन्होंने साम्यवाद के पतन के तुरन्त बाद सन् 1993 में अलबानिया की यात्रा यहाँ काथलिक
कलीसिया एवं कलीसियाई याजकवर्ग का पुनर्प्रतिष्ठापन किया था।
दूसरी महान हस्ती
हैं मदर तेरेसा। फादर लोमबारदी ने कहा कि अलबानिया में मदर तेरेसा राष्ट्रीय अभिनायिका
हैं और साथ ही ख्रीस्तीय पवित्रता की अद्वितीय आदर्श।
ग़ौरतलब है कि मदर तेरेसा
का जन्म अलबानिया में हुआ था किन्तु अपना सेवा कार्य उन्होंने भारत में सम्पादित किया
जो अभी भी उनके द्वारा स्थापित उदारता के मिशनरी धर्मसंघ द्वारा भारत तथा विश्व के अनेक
राष्ट्रों में जारी है।