वाटिकन सिटी, बुधवार 10 सितम्बर, 2014 (सेदोक, वी.आर.)꞉ बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर 10 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण
में, विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया। उन्होंने
इतालवी भाषा में कहा, ″ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, काथलिक कलीसिया की
धर्मशिक्षा माला को जारी रखते हुए, ‘कलीसिया एक माता है जो हमें दयालुता की शिक्षा देती
है’ पर चिन्तन करें।″ उन्होंने कहा, ″एक आदर्श शिक्षक कई बातों में उलझने के बजाय
मौलिक विषय पर प्रकाश डालता है। सुसमाचार के अनुसार करुणा एक अनिवार्य विषय है। जिस प्रकार
येसु ने अपने शिष्यों से कहा था दयालु बनो जैसे तुम्हारे स्वर्गिक पिता दयालु हैं उसी
प्रकार, कलीसिया अपने पुत्र-पुत्रियों को शिक्षा देती है कि हम पिता ईश्वर एवं उनके पुत्र
येसु के समान दयालु बनें। वह अपने उदाहरणों तथा वचनों द्वारा सिखलाती है। वह निर्देश
देती है कि हम भूखों को खिलायें तथा नंगों को पहनायें, यह ठीक उसी शिक्षा के समान है
जिसके तहत माता-पिता अपने बच्चों को अतिथि सत्कार के पावन परिचर्या की सीख देते हैं।
कलीसिया हमसे अस्पताल के कमरों में बीमार व्यक्तियों के पास तथा निजी घरों में
बुज़ुर्गों के साथ रहने की अपील करती है। हमें कैदियों से मुलाक़ात करने का निमंत्रण देती
है जहाँ दया भाव द्वारा हृदय एवं जीवन का परिवर्तन किया जा सकता है जिसे वे रिहा होने
पर समाज में पुनः प्रवेश कर सकें। वह हमें परित्यक्त एवं एकाकी में मरने वालों के क़रीब
रहने की सलाह देती है जिससे कि इस दयालुता द्वारा परलोक सिधारने वालों तथा इहलोक के निवासियों
दोनों को शांति की प्राप्ति हो सके।″
संत पापा ने कहा कि मुक्ति प्राप्त के
लिए यह आवश्यक है कि हम दया और प्यार प्रदर्शित करें न केवल उन लोगों को जो हमें प्यार
करते किन्तु उन लोगों को भी जो हमारे प्यार का बदला नहीं चुका सकते। पिता ने उसी प्रकार
हम पर करुणा की है तथा अपने पुत्र को दे कर हमें प्यार किया है। हम उन्हें धन्यवाद दें
कि उन्होंने हमें कलीसिया को हमारी माता के रूप में प्रदान किया है जो हमें दया तथा जीवन
के मार्ग पर चलना सिखलाती है। इतना कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
धर्मशिक्षा माला समाप्त करने के उपरांत उन्होंने भारत, इंगलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया
वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड,
जापान, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के
तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा
प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।